अहमदाबाद : शहर में ट्रैफिक की समस्या को कम करने के लिए सब्जी विक्रेताओं का अतिक्रमण दूर होगा

सड़क पर सब्जी बेचने वालों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था देने का निर्देश

अहमदाबाद में प्लास्टिक और पेपर कप पर प्रतिबंध लगाने के विवाद के बाद अब शहर में ट्रैफिक की समस्या को कम करने के लिए नगर आयुक्त को स्थायी समिति की बैठक में सड़क से सभी सब्जी मंडियों को हटाने और सब्जियां बेचने वाले लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था देने का सुझाव दिया गया है। इस बैठक में सदस्यों ने बताया गया कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में शाम के समय सार्वजनिक सड़कों पर सब्जियों के ट्रक खड़े होने के कारण सड़कों पर जाम लग जाता है।

शाम को रस्ते हो रहे हैं जाम

आपको बता दें कि शहर के विभिन्न सार्वजनिक मार्गों पर लंबे समय से यातायात की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।सड़कों पर दबाव के कारण सड़कें संकरी हो गई हैं। ऐसे में वाहन आसानी से नहीं निकल पा रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में सब्जी लारियों के सार्वजनिक सड़कों पर खड़े के कारण शाम के समय ट्रैफिक जाम देखने को मिल रहा है। स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में सार्वजनिक सड़कों से भीड़भाड़ कम करने पर चर्चा हुई।

सड़कों पर लगे दवाब को हटाने का निर्देश

आपको बता दें कि कांकरिया रोड स्थित मीरा सिनेमा के पास सड़क पर से दबाव हटाने के लिए संपदा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। बाद में व्यवस्था के अधिकारियों को शहर की सभी सड़कों पर सब्जी मंडियों और ट्रकों को खड़ा कर सड़कों को खोलने का निर्देश दिया गया। अहमदाबाद नगर निगम कई वर्षों से स्ट्रीट वेंडर नीति को लागू करने की घोषणा कर रहा है। हालांकि, नगर निगम के सम्पदा विभाग रेहड़ी पटरी वाले नीति पर अमल नहीं कर रहे हैं। ऐसे में  नगर निगम आयुक्त को एक बार फिर वर्तमान सत्ता पक्ष द्वारा शहर की विभिन्न सड़कों पर सब्जी मंडियों का दबाव दूर कर लॉरियों को वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

भाजपा विधायकों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए

इसी बीच नगर आयुक्त की अध्यक्षता में नगर पालिका के वेस्ट जोन कार्यालय उस्मानपुरा में आयोजित एमपीएमएलए समन्वय समिति की बैठक में भाजपा के विधायकों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आयुक्त के समक्ष पेश करते हुए कहा, "सरकारी जमीन पर 25 साल से दबाव होने के बाद भी दबाव नहीं हट रहा है। शहर की सार्वजनिक सड़कों पर अगर अवैध मांसाहार की दुकानें हैं तो उन्हें हटाओ। नगर पालिका में किसी ईमानदार अधिकारी की नियुक्ति करो। चूंकि लंबे समय से कोर्ट केस चल रहे हैं, नगर पालिका के प्लॉट पर दबाव नहीं हट पा रहा है।

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