जानिये अमेरिका में क्यों गैस चूल्हे को लेकर चल रही है बहस, क्या है पूरा मामला

जानिये अमेरिका में क्यों गैस चूल्हे को लेकर चल रही है बहस, क्या है पूरा मामला

प्रदुषण और जानलेवा बिमारियों के मद्देनजर उठाया जा सकता है ये कदम

अमेरिका में इन दिनों गैस चूल्हे को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। गैस फायरप्लेस पर विज्ञान अत्यधिक स्पष्ट है कि वे आपके घर के अंदर वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत हैं। अमेरिका में आने वाले दिनों में कुकिंग गैस के चूल्हे पर पाबंदी लगाई जा सकती है। गैस फायरप्लेस या गैस की चिमनी से प्रदूषण, अस्थमा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। एक गैस की चिमनी कई मायनों में पर्यावरण को प्रदूषित करती है। फिर ये चाहे चल रही हो या बंद हो। ऐसे में अमेरिकी कंज्यूमर प्रोटेक्ट सेफ्टी कमीशन, गैस चूल्हे के इस्तेमाल के लिए जरूरी मापदंड तय करने या फिर उसपे पाबंदी लगाने का फैसला कर सकता है।

गैस फायरप्लेस इन समस्याओं का जोखिम उठाते हैं

आपको बता दें कि अमेरिका में 35 फीसदी घरों में गैस स्टोव का इस्तेमाल होता है। ऐसे में वहां प्रतिबंध की खबरों को लेकर विरोध भी हो रहे हैं। गैस स्टोव पर पाबंदी से होटल और रेस्तरां इंडस्ट्री पर खासा असर हो सकता है। गैस चूल्हे पर खाना पकाने से बिजली के चूल्हे की तुलना में वातावरण में ढाई गुना अधिक कण पदार्थ पैदा होते हैं। जिससे जहरीली गैस इंसानों में सांस की समस्या के अलावा हृदय रोग और कैंसर जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। एक वैज्ञानिक के अनुसार घरों में चूल्हे के कारण हवा में प्रदूषण के स्रोत के रूप में बड़ी संख्या में कण मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि कुकिंग गैस के चूल्हे से निकलने वाली गैस से सांस की बीमारियों का खतरा है। इससे बच्चों को दमा हो सकता है। 

गैस चिमनियों के प्रति लोगों का आकर्षण

हाल ही में, एक अमेरिकी संगठन ने एक प्रस्ताव की घोषणा की कि जल्द ही अमेरिका में गैस फायरप्लेस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। क्योंकि यही वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। संयुक्त राज्य अमेरिका में बच्चों में अस्थमा की शिकायतों का प्रमुख कारण गैस फायरप्लेस हैं। नए शोधों में पाया गया है कि कुकिंग गैस स्टोव नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों का उत्सर्जन करते हैं, जिनसे फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचता है। प्रचार के माध्यम से गैस फायरप्लेस ने बहुत लोकप्रियता हासिल की है। गैस चूल्हे बनाने वाली कंपनियां इसे प्राकृतिक उत्पाद के रूप में पेश कर बेचती हैं। साथ ही टेलीविजन, अखबार से लेकर सोशल मीडिया तक में गैस चूल्हे का विज्ञापन बड़े ही लालच से किया जाता है ताकि आम लोग इसकी ओर आकर्षित होकर गैस चिमनियों को खरीद लें।

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