हाईकोर्ट की टिप्पणी : लड़कों को पता होना चाहिये कि लड़कियों और महिलाओं की सहमति के बिना उन्हें नहीं छुआ जाए!

हाईकोर्ट की टिप्पणी : लड़कों को पता होना चाहिये कि लड़कियों और महिलाओं की सहमति के बिना उन्हें नहीं छुआ जाए!

अदालत ने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में चरित्र निर्माण पर जोर देने की आवश्यकता जताई

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस देवन रामचंद्रन ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा है कि लड़कों को पता होना चाहिये कि लड़कियों और महिलाओं की सहमति के बिना उन्हें नहीं छुआ जाए। उन्हें पता होना चाहिये कि ना का मतलब ना होता है। 

दरअसल, हाईकोर्ट ने जिस याचिका की सुनवाई के दौरान ये बात कही उसमें एक कॉलेज प्रिंसिपल के आदेश और आंतरिक शिकायत समिति के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने बदतमीजी की और कॉलेज कैंपस में कुछ लड़कियों को गलत तरीके से छुआ। याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए आदेश को चुनौती दी थी कि उसके पक्ष को नहीं सुना गया। 

हाईकोर्ट ने देश के शिक्षा संस्थानों में छात्राओं के खिलाफ लगातार बढ़ रहे यौन उत्पीड़न के मामलों को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि महिलाओं के खिलाफ भद्दी टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं की जायेंगी। बच्चों को कम उम्र में ही सिखा देना चाहिये कि महिलाओं के साथ आदर से व्यवहार किया जाना चाहिये। 

अदालत ने कहा कि अच्छे व्यवहार और शिष्टाचार से जुड़ी बातों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना जरूरी है। ऐसा लगता है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था चरित्र निर्माण की जगह पूरी तरह अकादमिक नतीजों और रोजगार पर केंद्रित है। अब समय आ गया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान दिय जाये ताकि बच्चे बड़े होकर अच्छे नागरिक बन सकें।