जानिए क्यों मनाया जाता है पोंगल का त्यौहार, क्या है इसके पीछे की मान्यता और क्या है इसका महत्व

जानिए क्यों मनाया जाता है पोंगल का त्यौहार, क्या है इसके पीछे की मान्यता और क्या है इसका महत्व

14 जनवरी से देशभर में त्यौहारों का सीजन शुरू होने वाली है

कल यानि 14 जनवरी से देशभर में त्यौहारों का सीजन शुरू होने वाली है। गुजरात समेत पश्चिम-उत्तर भारत में उतरायण, दक्षिण भारत में पोंगल, पंजाब समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में लोहड़ी और असम समेत पूर्वी भारत में बिहू मनाया जायेगा।

पोंगल भारत के दक्षिणी क्षेत्र, विशेष रूप से तमिलनाडु में एक बहुत बड़ा त्योहार है। उत्तर भारत, विशेषतः पंजाब में जो महत्व लोहड़ी का होता है, वही महत्व पोंगल का दक्षिण भारत में होता है। लोहड़ी की तरह इस त्योहार का संबंध भी किसानों से है। पोंगल फसल के मौसम का उत्सव है। इस समय लोग एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन में उनके योगदान के लिए धरती माँ, प्रकृति और खेत, जानवरों का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। इस साल पोंगल 15 जनवरी से 18 जनवरी तक मनाया जाएगा।

ऐसे मनाया जाता है ये त्योहार

आपको बता दें कि दक्षिण भारत में नए साल के रूप मनाए जाने वाला ये त्योहार संपन्नता को समर्पित है। माना जाता है कि इसका इतिहास 1000 साल से भी पुराना है। इस त्योहार को चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें पहले दिन भेगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल के रूप में मनाते हैं। इसी से नए साल की शुरुआत होना भी मानते हैं।

क्या है पोंगल का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव ने अपने बैल नंदी को हर दिन तेल मालिश करने और महीने में एक बार स्नान और भोजन करने के लिए पृथ्वी पर भेजा था। लेकिन नंदी ने एक बार पृथ्वी पर पहुंचने की घोषणा की कि वह प्रतिदिन भोजन करेगा और महीने में एक बार तेल से स्नान करेगा। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने नंदी को हमेशा के लिए पृथ्वी पर रहने और मनुष्यों को उनके क्षेत्र में मदद करने का श्राप दिया। इसीलिए लोग फसल कटने के बाद फसलों और मवेशियों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। विशेष बात यह है कि इस पर्व में बनने और खाने वाले पकवान का नाम भी पोंगल है। यह उबले हुए मीठे चावल का मिश्रण होता है। यह तमिल शब्द पोंगु से लिया गया है, जिसका अर्थ है "उबालना"।

क्या है पोंगल का महत्व

आपको बता दें कि यह गन्ना, हल्दी और चावल जैसी फसलों की कटाई का मौसम है। लोगों का यह भी मानना ​​है कि पोंगल विवाह, सगाई और अन्य धार्मिक गतिविधियों जैसे शुभ समारोह करने का समय भी होता है।