कंडोम के विज्ञापन में गरबा खेलते युगल को दिखाना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं!
दवा कंपनी के खिलाफ दायर आपरधिक मामले को निरस्त करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
एक फार्मा कंपनी के प्रमुख के खिलाफ कंडोम के विज्ञापन में एक जोड़े को गरबा करते हुए दिखाने पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में दायर एक आपराधिक मामले को रद्द करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि कंडोम के विज्ञापन में पारंपरिक गुजराती डांस फॉर्म 'गरबा' करते युगल को अश्लील नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने हाल ही में एक फार्मासिस्ट के खिलाफ सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर विज्ञापन पोस्ट करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को खारिज कर दिया।
केवल उत्पाद का प्रचार कर रही है फर्म
आपको बता दें कि न्यायाधीश सत्येंद्र कुमार सिंह ने विज्ञापन देखने के बाद कहा कि फर्म का इरादा किसी समूह की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि केवल उत्पाद को बढ़ावा देना था। नतीजतन, यह माना जा सकता है कि 295-ए, 505 आईपीसी और 67 आईटी अधिनियम के तहत अपराध नहीं हुआ और इसलिए अदालत ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, इंदौर के समक्ष प्राथमिकी, आरोप पत्र और बाद की आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
सोशल मीडिया पर किया गया पोस्ट भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं
शिकायतकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि पोस्ट की गई तस्वीर की सामग्री से हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। नवरात्रि के दौरान ऐसे विज्ञापन आवेदक की आपराधिक मंशा को दर्शाते हैं। ऐसे में उसे कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए। उधर अदालत ने आदेश में कहा कि विज्ञापन जारी करने वाल फर्म का इंदौर में फार्मेसी का कारोबार है और हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखता है। उसने अपनी पहचान छुपाए बिना अपने मोबाइल नंबर से यह पोस्ट किया, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उसका इरादा केवल अपनी कंपनी के उत्पादों को बढ़ावा देना था और किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।