जल्द ही मिलने जा रहा है मोबाइल के अलग-अलग चार्जिंग पोर्ट से छुटकारा, एक जैसे उपकरणों के लिए एक जैसे चार्जर पोर्ट की सरकार की योजना

जल्द ही मिलने जा रहा है मोबाइल के अलग-अलग चार्जिंग पोर्ट से छुटकारा, एक जैसे उपकरणों के लिए एक जैसे चार्जर पोर्ट की सरकार की योजना

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट के लिए गुणवत्ता मानक जारी किए

भारत सरकार ने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए दो कॉमन चार्जिंग पोर्ट उपलब्ध कराने की मांग की है। जिनमें से एक मोबाइल, स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए यूएसबी टाइप-सी पोर्ट है और दूसरा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक सामान्य पोर्ट। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट के लिए गुणवत्ता मानक जारी किए है। हितधारकों के बीच टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट को लेकर बनी सहमति के बाद बीआईएस ने यह कदम उठाया है।

चरणबद्ध तरीके से लागू होगी कॉमन चार्जिंग पॉइंट्स योजना

आपको बता दें कि उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि स्टॉकधारक यूएसबी टाइप सी चार्जर के लिए राजी हो गए हैं और उसके बाद ही बीआईएस ने इस गुणवत्ता मानक की घोषणा की है। दूसरी ओर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर में घड़ियों जैसे पहनने योग्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सिंगल चार्जिंग पोर्ट के लिए शोध चल रहा है। इसके नतीजे मिलने के बाद बीआईएस उन हितधारकों से बात करेगा।

16 नवंबर को हुई बैठक में भी इस मसले पर पक्की सहमति बनी कि कॉमन चार्जिंग प्वाइंट्स को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए। देश में केवल दो चार्जिंग पोर्ट अनिवार्य करने के बारे में सिंह ने कहा, 'हमें यूरोपीय संघ की 2024 की समय सीमा का पालन करना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक निर्माताओं की आपूर्ति श्रृंखला वैश्विक है। जो केवल भारत में अपने उत्पाद नहीं बेचते हैं।' 

पर्यावरण को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला

गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने LIFE यानी पर्यावरण के लिए जीवन शैली की अवधारणा की घोषणा की थी। तब से सरकार लगातार ई-कचरे को कम करने की कोशिश कर रही है। सरकार इस कचरे को साल 2030 तक 45% तक कम करना चाहती है। ई-कचरे का मतलब उन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से है जिन्हें हम इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं।

आजकल हर घर के हर सदस्य के पास एक से बढ़कर एक गैजेट हैं जिससे ई-कचरा भी बढ़ रहा है। ईयर फोन, मोबाइल चार्जर, कंप्यूटर, मॉनिटर, चूहे, कीबोर्ड, मोबाइल, लैपटॉप, माइक्रोचिप, टीवी - ये सभी डिवाइस ईवेस्ट का कारण बनते हैं। ऐसे में यूरोपीय संघ इस बात पर सहमत हो गया है कि 2024 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एक ही चार्जर का उपयोग किया जाएगा। 2024 तक, यूरोपीय संघ में सभी मोबाइल फोन, टैबलेट और कैमरों के लिए यूएसबी टाइप सी सामान्य चार्जिंग पोर्ट होगा। ऐसे में करीब 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा कम हो जाएगा।

वर्तमान में ये कंपनियां बना रही हैं सी टाइप चार्जर

बता दें कि वर्तमान में Samsung, Xiaomi, Oppo, Vivo, Realme, Motorola ये कंपनियां टाइप सी गैजेट बनाती हैं। इस चार्जर की कीमत करीब 100-150 रुपए है। यह विकल्प लगभग नए एंड्रॉइड स्मार्टफोन में उपलब्ध है जबकि ऐप्पल के किसी भी गैजेट में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है, कंपनी आगामी आईफोन 15 प्रो सीरीज में टाइप सी चार्जिंग पोर्ट की योजना बना रही है।

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