सूरत : उद्यमियों को स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए: वस्त्र आयुक्त रूप राशी

सूरत : उद्यमियों को स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए: वस्त्र आयुक्त रूप राशी

कपड़ा सप्ताह में वस्त्र आयुक्त रूप राशी, अतिरिक्त वस्त्र आयुक्त एस. पी. वर्मा और फियास्वी के अध्यक्ष भरत गांधी ने उद्योगपतियों को संबोधित किया

दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के जीएफआरआरसी (ग्लोबल फैब्रिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर) ने दक्षिण गुजरात के कपड़ा उद्योग को नए रुझानों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से समृद्धि बिल्डिंग, नानपुरा, सूरत में टेक्सटाइल वीक के आठवें संस्करण का आयोजन किया। 

कपड़ा सप्ताह का उद्घाटन समारोह 23 दिसंबर 2022 को शाम 6.00 बजे आयोजित किया गया। भारत के कपड़ा आयुक्त रूप राशी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। भारत के अतिरिक्त वस्त्र आयुक्त एस.पी. वर्मा और चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष और फियास्वी के अध्यक्ष भरत गांधी ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। समारोह की शुरुआत उपस्थित अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।

भारत फाइबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है

चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला ने कहा की भारत फाइबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। कपास और जूट का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। सूरत सहित दक्षिण गुजरात मानव निर्मित कपड़े का बड़ा केंद्र है। भारत के केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने वर्ष 2030 तक कपड़ा निर्यात को 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का आह्वान किया है। कपड़ा उद्योग निश्चित रूप से इस दिशा में प्रयास करेगा और सूरत से वस्त्रों के निर्यात को भी बढ़ाएगा।

वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने गुणवत्ता में सुधार करना होगा

चेंबर के जीएफआरआरसी के अध्यक्ष गिरधरगोपाल मुंदड़ा ने कहा कि सूरत के कपड़े को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कपड़े की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। उसके लिए सूरत के उद्योगपतियों को उन्नत तकनीक में निवेश कर तकनीकी विकास लाना होगा। सरकार को भारत में अन्य देशों से होने वाले आयात को रोकने का विकल्प भी खोजना होगा और इसके लिए टफ और टीटीडीएस जैसी योजनाओं को लागू करना होगा। उन्होंने कपड़ा उत्पादन के संबंध में रोचक सांख्यिकीय जानकारी दी।

सूरत में टेक्सटाइल क्लस्टर की ताकत बढ़ानी है : रुप राशी

भारत के टेक्सटाइल कमिश्नर रूप राशि ने कहा कि सूरत में टेक्सटाइल क्लस्टर बहुत अच्छी तरह से विकसित हुआ है लेकिन क्लस्टर की ताकत बढ़ानी है। व्यवसायियों को अब लागत की बजाय गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए। उसके लिए विदेशी तकनीक को अपनाएं लेकिन मेक इन इंडिया के तहत उद्योगपतियों को उत्पाद भारत में ही बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग में कोई समस्या हो तो चेंबर के माध्यम से हमें बताएं, हम सहयोग के लिए तैयार हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट बनाए ताकि कपड़ा मंत्रालय एमएसएमई का समर्थन कर सके

उन्होंने आगे कहा कि उद्योगपतियों द्वारा निर्मित उत्पाद का प्रलेखन किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने पेशेवरों को नियुक्त करने का सुझाव दिया। एक बार जब हम वैश्विक स्तर पर वस्त्रों के सुनिश्चित आपूर्तिकर्ता बन जाएंगे, तो कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने चैंबर ऑफ कॉमर्स से एक ग्राउंड रिपोर्ट देने का अनुरोध किया ताकि कपड़ा मंत्रालय एमएसएमई का समर्थन कर सके। उन्होंने आगे कपड़ा उद्योग को एक व्यावसायिक रिपोर्ट तैयार करने और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने उद्योगपतियों को एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी और एनवायरनमेंट सोशल गवर्नेंस के बारे में भी बताया।

मुक्त व्यापार समझौतों के बीच कपडा व्यापारियों को अलर्ट रहना होगा

भारत के अतिरिक्त वस्त्र आयुक्त एस. पी. वर्मा ने वैश्विक कपड़ा एवं परिधान व्यापार की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि परिधान में नए अवसर पैदा होने जा रहे हैं। मैन मेड फैब्रिक्स में सूरत को आगे बढऩा है। अब भविष्य एमएमएफ का है। जब कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए जा रहे हैं, तो दूसरे देशों के कपड़ा उद्योग का क्या हो रहा है? इसके लिए भी आपको अलर्ट रहना होगा। इसके लिए वैल्यू एडिशन पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्योग में अभी भी पांच लाख नए शटललेस करघों की जरूरत है। बुनाई क्षेत्र के उद्यमियों को कदम बढ़ाने की जरूरत है। प्रसंस्करण क्षेत्र को भी अद्यतन और आधुनिक बनाना होगा। चूंकि देश में टायरकोड फैब्रिक का आयात किया जा रहा है, इसलिए उद्योग को इस दिशा में आगे बढऩे की जरूरत है। 

पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समाज स्थिरता के तीन स्तंभ हैं। इसलिए पुनर्चक्रित कचरे का पुन: उपयोग करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि अल्ट्रा सेविंग टेक्नोलॉजी और स्पिन होल- मल्टी बैलेंस टेक्नोलॉजी अपनाने से उत्पादन बढ़ेगा और ऊर्जा लागत कम होगी।

विकास और एक ईको सिस्टम बनाने की जरूरत

चेंबर के पूर्व अध्यक्ष और फियास्वी के अध्यक्ष भरत गांधी ने कहा कि कपड़ा उद्योग में कौशल विकास और एक ईको सिस्टम बनाने की जरूरत है। जैसे-जैसे मानव निर्मित कपड़ों की मांग बढ़ रही है, उत्पादन विकास पर ध्यान देना होगा। बुनाई में सूरत आगे है लेकिन फिनिशिंग लानी है। उसके लिए कैपिटल इंसेंटिव सब्सिडी होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि उद्योगपतियों को टेक्निकल टेक्सटाइल्स, जियो टेक्सटाइल्स, स्पोर्ट्स और एग्रो टेक्सटाइल्स पर ज्यादा फोकस करना होगा। जब एमएसएमई में 100 करोड़ रुपये का निवेश मुश्किल हो रहा है तो उन्होंने मांग की कि सरकार को पीएलआई योजना में पूंजीगत प्रोत्साहन देना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भावना व्यक्त की कि देश के अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी कपड़ा मंत्रालय होना चाहिए।

कपड़ा सप्ताह के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष प्रफुल्ल शाह ने की। इस समारोह में चेंबर के तत्कालीन अध्यक्ष आशीष गुजराती व पूर्व अध्यक्ष महेंद्र काजीवाला व अमरनाथ डोरा उपस्थित रहेे। चेम्बर के मानद मंत्री भावेश टेलर ने सभी का आभार मानकर समारोह का समापन किया।

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