नहीं हो रही शादी इसलिए कुंवारे लड़कों ने बारात निकालकर सरकार के सामने किया प्रदर्शन!

नहीं हो रही शादी इसलिए कुंवारे लड़कों ने बारात निकालकर सरकार के सामने किया प्रदर्शन!

महाराष्ट्र में कम हो रहे लिंगानुपात के कारण आसानी से नहीं मिल रही हैं लड़कियां

भारत एक ऐसा देश है जहां आपको हर दिन कुछ नया देखने को मिलता है। भारत विविधताओं से भरा देश है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के सोलापुर में देखने को मिला है। यहां महाराष्ट्र के अविवाहित युवक घोड़ों पर बैठकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

महाराष्ट्र की बात करें तो इन कुंवारे लोगों को दुल्हन नहीं मिलती है।  इन कुंवारों ने अपनी बारात निकाली और सरकार से गुहार लगाई कि हमें दुल्हन नहीं मिल रही है, हमारे लिए दुल्हन ढूंढो। इन कुंवारे आंदोलनकारियों का कहना था कि प्रदेश में लड़कियों की संख्या कम होने के कारण हम लोग शादी नहीं कर रहे हैं। इसलिए हम सरकार से गुहार लगाने आए हैं कि हमें दुल्हन नहीं मिल रही है, हमारे लिए दुल्हन ढूंढो।

दिन प्रतिदिन घटती जा रही है राज्य में लड़कियों की संख्या

इस मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि इन कुंवारे युवकों ने सरकार से दुल्हन की मांग की है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में कुछ युवक शादी नहीं होने से परेशान हैं। इसलिए युवाओं ने मिलकर एक अनोखा आंदोलन शुरू किया है। इन युवकों ने दूल्हे के कपड़े पहने और ढोल-नगाड़े के साथ घोड़ों पर बैठकर रैली निकाली।

महाराष्ट्र में अविवाहित युवकों का कहना है कि शादी के लिए लड़की की तलाश जारी है, लेकिन राज्य में लड़कियों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। जिससे उनकी शादी नहीं हो पा रही है। इसलिए उन्होंने सरकार से लड़की को ढूंढ़ने की गुहार लगाई।

ऐसे निकाला गया जुलूस

मार्च में शामिल सभी दूल्हों ने शेरवानी या फिर कुर्ता-पायजामा पहने थे और गले में तख्तियां लटकाए हुए थे। तख्तियों पर लिखा था, "एक पत्नी चाहिए, एक पत्नी! मुझसे शादी करने के लिए कोई भी एक लड़की दे सकता है!", "सरकार, होश में आओ और हमसे बात करो, तुम्हें हमारी दुर्दशा पर ध्यान देना होगा!" 12 साल के बच्चे विक्की सैडिगल ने अपनी तख्ती पर लिखा था, "मेरी शादी होगी या नहीं?"

आंदोलनकारी युवाओं ने उठाया लिंगानुपात असमानता का मुख्य मुद्दा

आपको बता दें कि आक्रोशित कुंवारे युवक कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और कलेक्टर को आवेदन पत्र भी दिया। जिसमें उन्होंने सिंगल लड़कों के लिए दुल्हन तलाशने की भी मांग की है। इन खास किस्म के आंदोलनकारियों का कहना था कि अगर हमें शादी के लिए लड़की नहीं मिल रही है तो सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए। सरकार और प्रशासन ने हमसे अपील की है कि दुल्हन को खोजने में हमारी मदद करें। अपने पत्र में इन युवा आंदोलनकारियों ने रूस में लैंगिक असमानता का मुख्य मुद्दा भी उठाया।

महाराष्ट्र में लिंग अनुपात में सुधार के लिए गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीसीपीएनडीटीएक्ट) को सख्ती से लागू करने की मांग की। इससे परेशान युवकों ने कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया और शादी नहीं होने का दुख जताया। उन्होंने कहा कि शादी नहीं होने से हमारे माता-पिता भी परेशान हैं। उनका कहना है कि लड़के और लड़कियों के बीच इतने बड़े अंतर के लिए सरकार जिम्मेदार है।

आगे हालात और होंगे बद्दतर

बेटी बचाओ आंदोलन शुरू करने वाले पुणे के डॉ. गणेश राख ने बताया कि भारत में 1000 लड़कों पर मात्र 940 लड़कियां ही हैं। वहीं महाराष्ट्र में मेल-फीमेल का रेशियो 1,000 लड़कों पर 920 लड़कियों का है जबकि केरल में 1,000 लड़कों पर 1,050 लड़कियां हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में स्थिति और भी भयावह है। अगर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और भी बद्तर हो सकती है।