जोधपुर पर महाश्रमण की महर, धवल सेना संग पहुंचे अमर नगर

जोधपुर पर महाश्रमण की महर, धवल सेना संग पहुंचे अमर नगर

अनेकानेक न्यायविज्ञों ने भी आचार्यश्री के किए दर्शन, प्राप्त किया मार्गदर्शन 

- 3 कि.मी. के विहार में लगा तीन घण्टे से भी अधिक का समय  

- जन-जन के श्रद्धाभावों को स्वीकार करने में 40 जगहों पर थामे चरण, सुनाया मंगलपाठ

ज्ञान हो जाए आचरणगत तो जीवन बने सुफल: युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 
 
23.12.2022, शुक्रवार, अमर नगर, जोधपुर (राजस्थान) : ऐतिहासिक सूर्यनगरी और नीलीनगरी के रूप में विख्यात जोधपुर नगर पर लगातार तीसरे तीन भी जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की कृपा बरसती रही और जोधपुरवासी इस कृपा से निहाल होते रहे। जोधपुर को कण-कण को अपनी चरणरज से पावन बना रहे मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को सरदारपुरा से प्रातःकाल अगले गंतव्य की ओर गतिमान हुए तो आचार्यश्री के साथ भक्तिभावों से ओतप्रोत श्रद्धालुओं का हुजूम भी निकल पड़ा। सूर्योदय के साथ ही लोगों को आध्यात्मिक आलोक बांटने निकले आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं के श्रद्धा भावों को स्वीकार करते हुए लगभग चालीस जगहों पर अपने चरणों को थामकर श्रद्धालुओं को मंगलपाठ सुनाने के साथ ही मंगल आशीष भी किया।

आचार्यश्री की ऐसी कृपा पाकर जन-जन का मन हर्षविभोर बना हुआ था। सरदारपुरा से अमर नगर की कुल दूरी लगभग तीन किलोमीटर थी, लेकिन विशाल जुलूस और जनता की भावनाओं को स्वीकार करते हुए आचार्यश्री को निर्धारित गंतव्य तक पहुंचने में लगभग तीन घण्टे से भी ज्यादा का समय लग गया। मार्ग में अनेक पूर्व और वर्तमान न्यायविज्ञ लोगों को भी आचार्यश्री से पावन पाथेय प्राप्त हुआ। आचार्यश्री अमरनगर में स्थित जीरावला परिवार के निवास स्थान में पधारे। 

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प्रवास स्थल के निकट बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को साध्वीप्रमुखाजी ने भी उद्बोधित करते हुए गुरु के चरणरज की महिमा का वर्णन किया। तदुपरान्त आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व है तो शुद्ध आचार का भी बहुत महत्त्व है। ज्ञान की वास्तविक सार्थकता तब होती है, जब वह जीवन में उतर जाए, आचरणगत हो जाए। ज्ञान और आचार दोनों तट हैं। दोनों को एक साथ मिलाने में दर्शन पुल की भूमिका निभाता है। ज्ञान होने के बाद दर्शन के माध्यम से ज्ञान को आचरण में उतार लेता है तो ज्ञान सार्थक हो जाता है और आदमी का जीवन सुफल बन सकता है। मान लिया जाए कि ज्ञान हो गया कि अहिंसा धर्म है, किन्तु अहिंसात्मक आचरण नहीं हुआ तो क्या लाभ। आदमी का दर्शन सम्यक् होता है तो ज्ञान सुगमता से आचरणगत हो सकता है। सिद्धांत के प्रति श्रद्धा, अपने आराध्य के प्रति सम्पूर्ण समर्पण हो तो अच्छी बात हो सकती है। 

कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती सरिता कांकरिया, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री महावीर चौधरी, तेरापंथी सभा के मंत्री श्री महावीर चौपड़ा, श्री सुरेश जीरावला व तेरापंथ किशोर मण्डल के संयोजक श्री ऋषभ श्यामसुखा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथी समाज, टी.पी.एफ. के सदस्य, तेरापंथ महिला मण्डल व जीरावला परिवार की महिलाएं तथा श्री कवि जैन ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल की सदस्याओं ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। 

जोधपुर के सूरसागर क्षेत्र की विधायक श्रीमती सूर्यकान्ता व्यास ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि मैं अपने क्षेत्र की जनता की ओर से परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक स्वागत करती हूं। आपकी कृपा सैदव लोगों को प्राप्त होती रहे।