पाठ्यक्रम में गुजराती भाषा को शामिल नहीं करने वाले बोर्डों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार : गुजरात हाईकोर्ट

पाठ्यक्रम में गुजराती भाषा को शामिल नहीं करने वाले बोर्डों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार : गुजरात हाईकोर्ट

कोई भी बोर्ड जो गुजरात में चालू रहना चाहता है उसे सरकार की नीति का पालन करना चाहिए : उच्च न्यायालय

गुजराती भाषा पाठ्यक्रम को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में एक आवेदन किया गया था। इस अर्जी की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने लाल आंख करते हुए कहा  कि जो बोर्ड गुजराती भाषा पढ़ाने से मना करेगा उसके खिलाफ सरकार कार्रवाई करे।  हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि गुजराती भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाने का फैसला सरकार का है। अगर सरकार इसे लागू करने में लाचारी दिखाती है तो कोर्ट फैसला करेगा। जो शिक्षा बोर्ड गुजरात में काम करना चाहते हैं, उन्हें सरकार की नीति का सख्ती से पालन करना होगा। राज्य सरकार की नीति गुजरात बोर्ड के अलावा अन्य बोर्डों पर भी लागू होती है। इस अर्जी पर अगली सुनवाई अब 22 दिसंबर को होगी।

स्कूलों को गुजराती को लेकर शपथ पत्र देना होगा


हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को उन बोर्डों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जो अपने पाठ्यक्रम में गुजराती भाषा को शामिल नहीं करते हैं। अगर सरकार कार्रवाई करने में लाचार है तो अदालत फैसला करेगी। कोर्ट ने कहा कि मातृभाषा सीखना बच्चे का अधिकार है। उच्च न्यायालय के विरोध के बाद, सरकार द्वारा यह प्रस्तुत किया गया था कि राज्य के सभी स्कूलों को एक शपथ पत्र पेश करना होगा कि वे गुजराती भाषा पढ़ाते हैं। इस मामले में संबंधित अधिकारियों से ब्योरा हासिल कर जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा।

 14 स्कूलों में गुजराती भाषा नहीं पढ़ाई जाती 


याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया कि 14 स्कूल ऐसे हैं जो अपने पाठ्यक्रम में गुजराती भाषा नहीं पढ़ाते हैं। इसके अलावा अन्य स्कूलों में भी कमोबेश यही स्थिति है। याचिकाकर्ता सही अर्थों में सरकारी परिपत्र दिनांक 13.4.2018; शाब्दिक एवं सारगर्भित क्रियान्वयन की मांग की गई है। एक सरकारी परिपत्र है कि राज्य के प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में गुजराती विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा। आवेदक का निवेदन है कि इस परिपत्र को कार्यान्वित नहीं किया जा रहा है।
Tags: