अहमदाबाद : 450 किमी दूर कच्छ से द्वारकाधीश के दर्शन के लिए पैदल आईं 25 गायें, आधी रात को खोले गए मंदिर के कपाट

अहमदाबाद : 450 किमी दूर कच्छ से द्वारकाधीश के दर्शन के लिए पैदल आईं 25 गायें, आधी रात को खोले गए मंदिर के कपाट

लम्पी वायरस की बीमारी से गायें सुरक्षित रहे इसके लिए कच्छ के निवासी द्वारकाधीश का दर्शन करने की मन्नते मांगी थी

 कच्छ और द्वारका की गौमाता की एक अनोखी घटना सामने आई है। यहां द्वारकाधीश के परम भक्त 25 गायों को लेकर कच्छ से 450 किलोमीटर दूर द्वारका स्थित कालिया ठाकोर पहुंचे। इतना ही नहीं, जब महादेव देसाई नाम के व्यक्ति ने आधी रात को 25 गायों के साथ द्वारका में प्रवेश किया तो इन गौ माताओं के लिए मंदिर के द्वार भी खोल दिए गए।

द्वारिकाधीश के शरण शीश झुकानें पहुंच गये

कच्छ के रहने वाले महादेवभाई देसाई अपनी 25 गायों को लम्पी वायरस से पीड़ित न हो और सुरक्षित रहें इसके लिए मन्नत रखी थी कि 'हे द्वारकाधीश... मेरी गायों को लम्पी वायरस से बचाओ। मैं अपनी गायों को आपके द्वार पैदल लाकर दर्शन कराऊंगा...' और फिर ऐसा ही हुआ... महादेवभाई की बात द्वारकाधीश भगवान ने मान ली... और जैसे ही भगवान ने मन्नते सुनी तो गायें स्वस्थ हो गई। इसके बाद महादेवभाई अपनी गायों के साथ मन्नतें पूरी करने के लिए कच्छ से 450 किलोमीटर की पदयात्रा कर द्वारिकाधीश के शरण शीश झुकानें पहुंच गये। 

द्वारकाधीश मंदिर में इस तरह की घटना पहली बार हुई है


जब महादेवभाई अपनी गायों को लेकर द्वारका पहुंचे तो सवाल था कि आधी रात में भगवान के दर्शन कैसे करें... हालांकि मंदिर में दिन में भीड़ होती है। यहां काफी चहल-पहल रहती है और दिन में इन गायों को किस तरह अंदर ले जाया जा सकता है। इस तमाम विचारों के साथ मंदिर प्रशासन ने भी 33 करोड़ देवी देवताओं को स्थान देने वाली गो माता को रात्रि दर्शन कराने के निणर्य लिया और उनके दर्शन के लिए रात को द्वारकाधीश के मंदिर का द्वार खोला गया।  ऐसा पहली बार हुआ कि द्वारकाधीश के मंदिर के कपाट पहली बार आधी रात को खोले गए। और ये नजारा देखकर हर कोई हैरान रह गया। द्वारकाधीश के भक्त महादेवभाई और गायों का अपार प्रेम देखकर हर कोई अभिभूत हो गये।

17 दिन की दूरी तय कर द्वारका पहुंचे

यह घटना 21 नवंबर को द्वारका में हुई थी। महादेवभाई ने 25 गायों और 5 ग्वालों के साथ पैदल ही कच्छ से निकले थे। वे 17 दिनों तक प्रतिदिन औसतन 27 किलोमीटर की दूरी तय कर द्वारका आए। तब इस घटना को सुनने और देखने वाले हर कोई इसे चमत्कार बता रहा है। द्वारकाधीश मंदिर के इतिहास में यह घटना पहली बार हुई और प्रशासन ने गायों के लिए मंदिर का द्वार खोल दिया और गौधन के लिए अच्छा काम करने वाले लोगों की सराहना की। उल्लेखनीय है कि जब लम्पी वायरस का प्रकोप था, तब महादेवभाई की कोई भी गाय नहीं मरी थी और इन गायों को कोई बीमारी नहीं हुई थी।
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