अहमदाबाद : उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च तय, अधिक व्यय होने पर होगी कार्रवाई

अहमदाबाद : उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च तय, अधिक व्यय होने पर होगी कार्रवाई

चुनाव में प्रत्याशी लाखों रुपये खर्च करते हैं, जिस पर चुनाव आयोग की नजर रहती है

 गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर काफी गहमागहमी चल रही है। राजनीतिक दलों ने भी अपने उम्मीदवारों का चयन कर लिया है। इसके साथ ही प्रत्याशियों ने चुनावी मैदान में उतरे हैं। उम्मीदवारों द्वारा बैठकें, रैलियां और घर-घर प्रचार किया जाता है। इस बीच प्रत्याशी चुनाव प्रचार पर लाखों रुपये खर्च करते हैं। उम्मीदवार मतदाताओं को लुभाने के लिए बैठकों, सभाओं और रात्रिभोज सहित कार्यक्रम आयोजित करते हैं। ऐसे कार्यक्रमों पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। फिर चुनाव आयोग उम्मीदवार के खर्च और प्रचार पर नजर रखता है।

उम्मीदवारों को दर्ज कराना होगा चुनाव खर्च


गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च तय कर दिया गया है। सभी उम्मीदवारों को चुनावी खर्च का एक रजिस्टर भी बनाना होगा। उम्मीदवारों को दैनिक व्यय खाता भी लिखना होगा। गौरतलब है कि प्रत्याशियों द्वारा प्रचार-प्रसार किया जाता है। कार्यक्रम में सभागार, फर्नीचर, वाहन किराया, पोस्टर, प्रचार साहित्य, छपाई, साउंड सिस्टम, होटल, भोजन के लिए खर्च किया जाता है। फिर इसके लिए दोनों के दाम तय कर दिए गए हैं।

जानें, चुनाव आयोग ने किस वस्तु का कितना कीमत किया है तय 


चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित मूल्य के अनुसार 1 कप चाय के लिए 15 रुपये, आधा कप चाय के 10 रुपये, एक गिलास दूध के 20 रुपये, ब्रेड बटर के 25 रुपये, बिस्कुट के 20 रुपये, बटाका पौवा के लिए 20 रुपए, उपमा की एक प्लेट के लिए 20 रुपए, नींबू पानी के लिए 10 रुपए प्रति गिलास, बड़े समोसे दो पीस के लिए 40 रुपए, कटलेस  2 पीस के लिए 30 रुपए, भजिया के 100 ग्राम के लिए 30 रुपए, सादा गुजराती थाली पुरी या रोटी, दो सब्जी, दाल, चावल, पापड़, सलाड की कीमत 90 रुपये, 150 मिली दही छाछ 15 रुपये, तावो चापड़ी उंधियू के 90 रुपये, पावभाजी 70 रुपये, पूरी सब्जी40 रुपये और पराठा सब्जी 70 रुपये तय किये गये है।

उम्मीदवारों द्वारा किए गए खर्च पर नजर


गौरतलब है कि निर्धारित मूल्य के अनुसार ही उम्मीदवारों द्वारा खर्च की जाने वाली राशि का निर्धारण किया जाता है। हालांकि तय खर्च से ज्यादा खर्च करने वाले प्रत्याशी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है और चुनाव के बाद प्रत्याशी को खुद ही हिसाब देना होता है कि उसने कितना खर्च किया। इसके लिए चुनाव आयोग ने एक कमेटी भी बनाई है। ताकि उम्मीदवारों के खर्चे पर नजर रखी जा सके। अगर कोई उम्मीदवार तय खर्च से ज्यादा खर्च करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। 
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