अहमदाबाद : 85 वर्षीय व्यक्ति ने बनासकांठा जिले में फैलाई खुशबू, कृषि में किया सफल प्रयोग
By Loktej
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गुजराती हमेशा किसी भी नए उद्यम, नई पहल में सबसे आगे रहते हैं
उद्यमिता गुजराती लोगों के जीन में होती है। गुजराती हमेशा किसी भी नए उद्यम, नई पहल में सबसे आगे रहते हैं। गुजरातियों ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और धैर्य से किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल की है और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। कृषि पारंपरिक व्यवसाय है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ है। लेकिन आज के बदलते चलन में गुजरात के किसान कृषि में आधुनिकता और तकनीक के मेल से उन्नत हुए हैं और परंपरागत फसलों को छोड़कर प्रयोगात्मक रूप से नई फसल की खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक बन रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक 85 वर्षीय प्रायोगिक किसान की।
मूलजीभाई ने साहसिक कदम उठाते हुए उन्होंने पूरे जिले में एक चंदन किसान के रूप में ख्याति अर्जित की है
बनासकांठा जिले के अमीरगढ़ तालुका के अजापुर वांका गांव के मूलजी काका ने इस उम्र में "चंदन की खेती" कर पूरे क्षेत्र में चंदन की खुशबू फैला दी है। मूलजीभाई वीरसंगभाई देसाई मूल रूप से पालनपुर तालुका के जगाना के रहने वाले है। एक शिक्षक के रूप में उनका करियर है और वे जगाना गांव में दो बार सरपंच भी रह चुके हैं।
सामाजिक रूप से भी उनका नाम सामने आया, इसलिए मूलजी काका की पहचान इस क्षेत्र के एक जाने माने व्यक्ति की है। कहा जाता है कि सेवानिवृत्ति के बाद गतिविधि कम हो जाती है और शेष जीवन भक्ति या अन्य धार्मिक गतिविधियों में व्यतीत हो जाता है। लेकिन मूलजीभाई ने साहसिक कदम उठाते हुए उन्होंने पूरे जिले में एक चंदन किसान के रूप में ख्याति अर्जित की है।
गुजरात में चंदन का वृक्षारोपण भारत के कुल वृक्षारोपण का 0.45 प्रतिशत है
चंदन का पेड़ दक्षिण भारतीय राज्यों की प्राकृतिक संपदा है। लेकिन गुजरात में भी कुछ अमीर और उद्यमी किसानों ने इस खेती को अपनाया और अभिनव पहल की नींव रखी। गुजरात में चंदन की खेती भारत की कुल खेती का 0.45 प्रतिशत है। जो कुल 17,432 हेक्टेयर क्षेत्रफल में से केवल 80 हेक्टेयर है। मुलजी काका ने अजापुर वांका गांव के अपने खेत में 50 बीघा भूमि में 10 हजार चंदन के पेड़ लगाकर लंबी अवधि की आय की योजना बनाई है। वर्ष 2012 में उन्होंने कर्नाटक से 500 चंदन के पौधे लाए और चंदन की खेती शुरू की और आज उनके 50 बीघा विशाल फार्म में दस हजार वृक्ष पूरे क्षेत्र में अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं।
कीमती चंदन के पेड़ों की सुरक्षा के लिए पूरा खेत सीसीटीवी कैमरों से लैस है
स्पोर्ट्स शूज पहने हुए किसी युवक की तरह स्फूर्ति एवं उत्साह वाले मुलजी काका का चंदन का खेत देखने लायक है। उन्होंने अपनी कुल 75 बीघा जमीन के 50 बीघे में 10 हजार चंदन के पेड़ लगाए हैं और अपने खेत को कर्नाटक के जंगल की तरह सुंदर और हरा-भरा बना दिया है। कीमती चंदन के पेड़ों की सुरक्षा के लिए पूरा खेत सीसीटीवी कैमरों से लैस है। एक बीघा से एक किसान को साल में पांच लाख रुपये की आमदनी होती है। 15 वर्ष के अंत में 75 लाख रुपये या उससे अधिक की उपज प्राप्त की जा सकती है। चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा प्रति पौधे 30 रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है।
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