अहमदाबाद : दिवाली में पटाखे फोड़ते समय रहें सावधान, जानिए पटाखों का खतरा?

अहमदाबाद : दिवाली में पटाखे फोड़ते समय रहें सावधान, जानिए पटाखों का खतरा?

विशेषज्ञ ज्वलनशील और तेज आवाज वाले पटाखों के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं

 दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग पटाखे फोड़कर उत्साह के साथ जश्न मना रहे हैं, लेकिन पटाखे फोड़ने में भी सावधानी बरतने की जरूरत है। यह देखना भी उतना ही जरूरी है कि पटाखे फोड़ने का मजा आजीवन सजा न बन जाए। विशेषज्ञ ज्वलनशील और तेज आवाज वाले  पटाखों के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।

पटाखों से होता है ऐसा नुकसान


इस प्रकार, पटाखे फोड़ना एक जोखिम भरा कार्य है, लेकिन फिर भी लोग पटाखे फोड़कर त्योहारों को उत्साह के साथ मनाते हैं। हालांकि अगर पटाखों के फटने से आपकी नजर हट जाए तो यह किसी आपदा के समान है। इसलिए विशेषज्ञों की सलाह मानें तो बच्चे अगर पटाखे फोड़ रहे हैं तो उन्हें बड़ों या बड़ों की देखरेख में ही पटाखे फोड़ने चाहिए। वहीं पटाखे फोड़ने में जितना मजा आता है, उतना ही यह पटाखे प्रदूषण भी फैलाते हैं। साथ ही जोरदार आवाज करने वाले बम भी ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं और व्यक्ति के कानों को नुकसान पहुंचाते हैं।

बहरापन हो सकता है


पटाखों से निकलने वाला धुआं और इसके कारण हवा में मिले रासायनिक तत्व भी शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। लोग अक्सर सार्वजनिक सड़कों पर बम फोड़ते हैं। उनका यह मजाक पैदल चलने वालों और वाहन चालकों के लिए दुर्घटना का कारण बन सकता है। जानकारों के मुताबिक पटाखों और खासतौर पर तेज आवाज वाले बमों से कान का परदा फटने से बहरापन हो सकता है। यदि कान नस क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है।

क्या कहते हैं चिकित्सा विशेषज्ञ?


चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों से निकलने वाले ज्वलनशील रसायनों के प्रभाव से अस्थमा, उच्च रक्तचाप, आंखों में जलन और सुनने की क्षमता कम होने जैसी समस्याएं होती हैं। 60 डेसिबल से ऊपर का आवाज हानिकारक साबित हो सकता है। सामान्य व्यक्तियों की सुनने की क्षमता 60 डेसिबल तक निर्धारित की जाती है। इससे ऊपर की आवाजों के संपर्क में आने से भी मानव कान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

पटाखे फोड़ते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?


हो सके तो वहां न जाएं जहां पटाखे फोड़े जा रहे हों। बम या पटाखा फटने पर कान पर उंगली रखे या कान में रुई रखने से आवाज की मात्रा कम हो जाती है। पटाखे फोड़ते समय उड़ती धूल, बालू भी आंखों और कानों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए पटाखों के फूटने पर उनके सामने न देखें। सार्वजनिक सड़कों के बीच में पटाखे न फोड़ें। छोटे बच्चों को पटाखों से दूर रखें। महत्वपूर्ण है कि त्योहारों के आयोजन में सावधानी ही सुरक्षा है तथा सावधानी से पटाखे फोड़े जाएं तो त्योहारों का जश्न खुशी के साथ मनाया जा सकता है। 
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