अहमदाबाद : राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के 44 शिक्षकों को श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक प्रदान किए

अहमदाबाद : राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य के 44 शिक्षकों को श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक प्रदान किए

श्रेष्ठता के लिए 6 विद्यार्थियों का भी किया सम्मान

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य के श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक विजेता 44 शिक्षकों का सम्मान करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षा ही सभी समस्याओं का समाधान है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य और समाज के सर्वग्राही विकास के लिए शिक्षा एक आवश्यक कारक है। गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग ने शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी की प्रेरक उपस्थिति में श्रेष्ठ शिक्षक पारितोषिक वितरण और विद्यार्थी सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी और मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल ने राज्य के पारितोषिक विजेता 44 शिक्षकों को शॉल, प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार राशि से सम्मानित किया। उन्होंने 6 विद्यार्थियों का भी उनकी श्रेष्ठता के लिए शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी और शिक्षा राज्य मंत्री  कीर्तिसिंह वाघेला की उपस्थिति में सम्मान किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शिक्षक दिवस के पवित्र अवसर पर राज्य के शिक्षकों से विद्यार्थियों को शारीरिक रूप से बलवान, वैचारिक रूप से प्रबुद्ध और शैक्षणिक रूप से योग्य बनने की दिशा में निरंतर जिम्मेदारीपूर्ण कार्य करने का अनुरोध किया।

राज्य शिक्षा व्यवस्था ने अभिभावकों का दिल और विश्वास दोनों जीता है  : राज्यपाल


शैक्षणिक क्षेत्र में गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि गुजरात में पिछले साढ़े छह वर्षों में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने निजी स्कूलों से सरकारी स्कूल में प्रवेश लिया है। यह गुजरात शिक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय उपलब्धि है। यह दर्शाता है कि राज्य शिक्षा व्यवस्था और विशेषकर शिक्षकों की मेहनत, परिश्रम और व्यक्तित्व ने अभिभावकों का दिल और विश्वास, दोनों जीता है। राज्यपाल ने आजीवन शिक्षक रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले शिक्षक दिवस पर प्रधानाचार्य के रूप में अपने 35 वर्षों के संस्मरणों की याद ताजा की। 
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शिक्षिका को पारितोषिक प्रदान किये
यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्यपाल केवल 21 वर्ष की आयु में कुरुक्षेत्र गुरुकुल में प्रधानाचार्य बन गए थे। उन्होंने प्रधानाचार्य के रूप में अपने कार्यकाल की प्रेरक गाथा का विस्तार से उल्लेख करते हुए बताया कि लगातार 35 वर्षों तक एक ही गुरुकुल में इस पद पर रहते हुए अनेक नवोन्मेषी विचारों, नई पहलों, जनकल्याण के कार्यों तथा कर्तव्यनिष्ठा के परिणामस्वरूप कुरुक्षेत्र गुरुकुल को सर्वश्रेष्ठ बनाया है। उन्होंने नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात और पूरे देश में आपदा को अवसर में पलटने की कार्यसंस्कृति विकसित किए जाने का जिक्र करते हुए गुजरात के कच्छ में आए भूकंप के बाद बदली हुई परिस्थिति का वर्णन कर शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया।
राज्यपाल ने परंपरागत शिक्षा व्यवस्था के साथ राज्य में कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने, मृदा की गुणवत्ता सुधारने और फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए शुरू किए गए प्राकृतिक कृषि अभियान का संदर्भ देते हुए इसके फायदों को लेकर स्वयं के अनुभवों को साझा किया तथा लोगों को प्राकृतिक कृषि पद्धति अपनाने की प्रेरणा दी। श्री देवव्रत जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में माता-पिता के अलावा गुरुजन का स्थान श्रेष्ठ होता है और केवल यही तीन व्यक्ति जीवन में श्रेष्ठ पथप्रदर्शक बनते हैं।

मानव निर्माण का कार्य सबसे कठिन कार्य


राज्यपाल ने इस अवसर पर शिक्षकों, विद्यार्थियों और उपस्थित सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मानव निर्माण का कार्य सबसे कठिन कार्य है। जो व्यक्ति दूसरे के हृदय के स्पंदन को अपने हृदय में अनुभव कर, दूसरे के सुख में सुखी और दूसरे के दुःख में दुःखी होने की शैली को अपनाता है, वही सच्चे अर्थों में मानव और मानवता की मिसाल स्थापित कर सकता है। इस अवसर पर उन्होंने सभी माता-पिता एवं शिक्षकों से बच्चों तथा विद्यार्थियों को महापुरुषों के जीवन संघर्ष की गाथा एवं आत्मकथा को आत्मसात कराने का भी अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल ने पारितोषिक प्राप्त शिक्षकों के अन्य सभी के लिए प्रेरणादायी बनने का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाकर अमृत काल में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस अमृत काल के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जो पांच संकल्प दिए हैं उसमें विकसित भारत का निर्माण, विरासत पर गर्व करना, गुलामी की मानसिकता का समूल नाश और एकता को मजबूत करने के साथ नागरिक कर्तव्यों का पालन शामिल है।
मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में कहा कि देश के अमृत काल के इन सारे संकल्पों को साकार करने के लिए केवल शिक्षक ही आने वाली पीढ़ी का निर्माण कर उसे तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों का टेक्नोलॉजी आधारित मूल्यांकन होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देश में टेक्नोलॉजी के माध्यम से शैक्षणिक व्यवस्था का निरीक्षण करने के लिए राज्य को विद्या समीक्षा केंद्र के रूप में एक नई दिशा मिली है।


शिक्षा ही सभी समस्याओं का समाधान है  :  मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल


मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, जैसा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का कहना है, कंकर से शंकर बनाने की ताकत शिक्षा में है। आज गुजरात की शिक्षा व्यवस्था के परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और व्यवस्थाओं पर भरोसा बढ़ा है और वे निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूल की ओर मुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह शाला प्रवेशोत्सव और गुणोत्सव का ही नतीजा है कि गुजरात राज्य में 20 वर्ष पहले स्कूल ड्रॉपआउट की दर 37 फीसदी थी, वह आज घटकर 2 से 3 फीसदी तक रह गई है। गुजरात सरकार ने भी स्मार्ट स्कूल और डिजिटल शिक्षा का दृष्टिकोण अपनाकर टेक्नोलॉजी के प्रवाह को राज्य शिक्षा से जोड़ा है। मुख्यमंत्री ने आजीवन शिक्षक रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्मरण करते हुए उपस्थित सभी लोगों को आजीवन सीखते रहने की सीख दी।

शिक्षा ‘वेतन’ नहीं परन्तु ‘वतन’ की सेवा का नोबल प्रोफेशन  :  शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी


शिक्षा मंत्री  जीतुभाई वाघाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के दिशानिर्देश और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार ‘बाल देवो भव’ के सूत्र को चरितार्थ कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक नई पहलों के जरिए विद्यार्थियों की श्रेष्ठ शिक्षा के प्रयास शुरू किए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मास्तर’ से आगे बढ़कर ‘गुरु’ की पहचान स्थापित कर ‘उपेक्षित’ से ‘अपेक्षित’ शिक्षा की राह दिखाई है। 
राज्य के 44 श्रेष्ठ शिक्षकों एवं 6 विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी श्रेष्ठता और शिक्षा के तप से राष्ट्र निर्माण के सद्कार्य के लिए सम्मानित किया
श्री वाघाणी ने शिक्षा को ‘वेतन’ नहीं, परन्तु ‘वतन’ के लिए नोबल प्रोफेशन करार देते हुए कहा कि शिक्षक कर्तव्यनिष्ठा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम में महानुभावों ने राज्य के 44 श्रेष्ठ शिक्षकों एवं 6 विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी श्रेष्ठता और शिक्षा के तप से राष्ट्र निर्माण के सद्कार्य के लिए सम्मानित किया। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री कीर्तिसिंह वाघेला, अहमदाबाद के महापौर किरीटभाई परमार, सांसद हसमुखभाई पटेल, विधायक राकेशभाई शाह, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एसजे हैदर, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा सचिव विनोद राव सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
Tags: 0