अहमदाबाद : डीसा के मनुभाई आसनानी की अनूठी सेवा; 15 हजार लावारिश शवों का शास्त्रों के अनुसार कर चुके हैं अंतिम संस्कार

अहमदाबाद : डीसा के मनुभाई आसनानी की अनूठी सेवा; 15 हजार लावारिश शवों का शास्त्रों के अनुसार कर चुके हैं अंतिम संस्कार

मनुभाई हर साल उनके पीछे श्राद्ध भी करते हैं और छोटे बच्चों भोजन कराते हैं


बनासकांठा जिले में एक युवक जिले की अनूठी सेवा कर रहा है, जब 108 उपलब्ध नहीं थे, यह युवक शहर और ग्रामीण क्षेत्र में दुर्घटना स्थल पर पहुंचता था और घायलों को अपने खर्च पर इलाज के लिए ले जाता था। अब तक वे 15 हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार शास्त्रोंक्त विधि से कर चुके हैं।  इस अनूठे सेवा कार्य की जिले के सभी लोग सराहना कर रहे हैं।
बनासकांठा जिले के डीसा कस्बे के लीलाशाह नगर इलाके में रहने वाले मनुभाई सेवकराम आसनानी अब 53 साल के हो गए हैं। लेकिन जब मनुभाई 11 साल के थे, तब उन्होंने अपने पिता की प्रेरणा से सेवा करना शुरू कर दिया। सबसे पहले एक भिक्षुक से सेवा का काम शुरू किया। 108 की सेवा से पहले, 42 वर्ष पूर्व मनुभाई डीसा में 108 वाहन की तरह काम करते थे। शहर या ग्रामीण क्षेत्र में कहीं भी सड़क दुर्घटना होती, तो वे तुरंत मौके पर पहुंचकर घायलों को समय पर उपचार प्रदान कराते थे।
अब तक वे 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं। साथ ही मनुभाई आसनानी मानव सेवा तो कर रहे हैं लेकिन पशु-पक्षियों की भी अद्भुत सेवा कर रहे हैं। जब भी कोई जानवर या पक्षी घायल होता है तो वह मौके पर पहुंचकर उसका उचित इलाज करते हैं। जिले में सड़क दुर्घटना में अगर युवक पहुंचकर घायलों को बचा लेता है तो यह सच है कि इससे बड़ा सेवा कुछ भी नहीं है। साथ ही दुर्घटना में जिसे कुचल दिया गया है या जिनके परिवार के सदस्य भी मृतक के पास खड़ा नहीं रह सकते हैं, ऐसे मृतदेह का मनुभाई पीएम कराकर जिला तथा गुजरात सहित अनेक राज्यों में जाकर शव को मृतक के परिवार को सौंपते है।  
मनुभाई शास्त्र के अनुसार सभी का अंतिम संस्कार किया
साथ ही कोरोना के संकट काल ​​में मरने वाले लोगों के परिजनों ने अपने परिजनों को नहीं छुआ और यह मनुभाई आसनानी अस्पताल जाकर कोरोना काल में मरने वालों के शव उनके अपने हैं ऐसे समझ कर अस्पताल से लेने के बाद शास्त्रों की रस्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया। इसके अलावा भिक्षुक यानी लावारिश मृतदेह हो या जिनके परिजन न हो ऐसे मृतदेह को भी मनुभाई शास्त्र के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया है।  अब तक 15 हजार से अधिक शवों का शास्त्रों के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके हैं। जिनके परिवार के सदस्य नहीं हैं और जिनके बिल वार्षिक हैं, उन्होंने शास्त्रों के अनुसार अंतिम संस्कार किया है। लेकिन मनुभाई हर साल उनके पीछे श्राद्ध भी करते हैं और छोटे बच्चों भोजन कराते हैं। 
मनुभाई की इस अनूठी सेवा के लिए, वह राज्यपाल द्वारा एवार्ड प्राप्त कर सम्मानित किये गये हैं। मनुभाई को लायंस क्लब, भारत विकास परिषद, रोटरी क्लब जैसे कई संगठनों द्वारा 50 से अधिक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा जिले के तमाम लोग भी इस युवक के काम को लेकर उनके सेवा कार्य की सराहना कर रहे हैं। 
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