अहमदाबाद : अमृत काल’ में बनाएंगे जनता के सपनों का गुजरात : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है

भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह अवसर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिवीरों के संघर्षों को याद करने का है, जिन्होंने गुलामी की बेड़ियों में सैकड़ों वर्षों तक जकड़ी रही भारत माता को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान वीरों और गुमनाम बलिदानियों के योगदान को उजागर करने के लिए प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाने का आह्वान किया। 12 मार्च, 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से इसकी शुरुआत हुई।
गुजरात आजादी के इस ‘अमृत महोत्सव’ को पूरे उत्साह और उमंग के साथ मना रहा है। देश के स्वाधीनता संग्राम में गुजरात के योगदान का एक सुनहरा इतिहास है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सरदार पटेल के अलावा गुजरात के अनेक सपूतों ने आजादी की जंग में बहुमूल्य योगदान दिया था।
अहमदाबाद का साबरमती आश्रम उन दिनों स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बिंदु हुआ करता था। देश भर के नेता, विचारकों, समाजसेवकों और कार्यकर्ताओं का वहां जमावड़ा लगा रहता था। महात्मा गांधी के सान्निध्य में यहां देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने की रणनीतियां और कार्यक्रम बनाए जाते थे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में इसी साबरमती आश्रम से शुरू हुई दांडी यात्रा ने ब्रिटिश सल्तनत की नींव हिला दी थी।
लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने बारडोली सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया। इस सफल आंदोलन के बाद उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि से नवाजा गया। सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत संघ में विलीनीकरण कर अखंड भारत के निर्माण का ऐतिहासिक कार्य किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतमाता के इस सपूत की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण के माध्यम से उन्हें यथोचित श्रद्धांजलि दी है।
इनके अलावा, श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीखाजी कामा और सरदार सिंह राणा जैसे अनेक गुजरातियों ने देश की आजादी के लिए अपना योगदान दिया था।
गुजरात में स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी समाज का अहम योगदान रहा था। हालांकि, इतिहास में उन लोगों और घटनाओं की उपेक्षा की गई। गोविंद गुरु के नेतृत्व में गुजरात के मानगढ़ में अंग्रेजों की विरुद्ध स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए लगभग 1500 आदिवासी शहीद हुए थे। साबरकांठा जिले के पाल दढवाव में भी अंग्रेजों ने 1200 से अधिक निर्दोष आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को गोलियों से छलनी कर दिया था। इसे गुजरात का ‘जलियांवाला कांड’ भी कहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री काल के दौरान आदिवासियों की शहादत को उजागर करने के लिए यहां शहीद स्मारक का निर्माण किया गया था।
1 मई, 1960 को जब गुजरात राज्य की स्थापना हुई, तब इस प्रदेश के सामने अनेक चुनौतियां थीं। मुंबई जैसे समृद्ध राज्य से अलग होकर अस्तित्व में आने के बाद गुजरात ने एक राज्य के रूप में अपनी यात्रा को मजबूत और अटल हौसले के साथ शुरू किया। उस दौर में जब कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हुआ करती थी, तब गुजरात पानी की भारी कमी और कम वर्षा वाला राज्य होने के कारण कृषि क्षेत्र में संकटों से जूझ रहा था। लेकिन स्वाभिमानी तथा जोश एवं जज्बे से भरे गुजरातियों ने अथक पुरुषार्थ कर गुजरात को कृषि सहित सभी क्षेत्रों में अग्रणी बनाया।
गुजरात देश के ‘ग्रोथ इंजन’ के रूप में जाना जाने लगा
गुजरात की विकास गाथा का एक नया और स्वर्णिम अध्याय तब शुरू हुआ, जब नरेन्द्र मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान संभाली। उन्होंने विनाशकारी भूकंप के सदमे से गुजरात को उबारकर विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रशासनिक शिथिलता के वातावरण को चुस्त-दुरुस्त बनाया और लोगों में भी उत्साह का संचार किया। नेता के रूप में अपनी नीति, रीति और कार्यों से नरेन्द्र मोदी ने नेतृत्व की एक नई परिभाषा गढ़ी। 
राज्य के विकास को लेकर उनकी स्पष्ट एवं प्रभावी नीतियों का ही नतीजा है कि गुजरात का ‘विकास मॉडल’ देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में चर्चित हो गया। गुजरात देश के ‘ग्रोथ इंजन’ के रूप में जाना जाने लगा है।
गुजरात की गत दो दशकों की विकास यात्रा लोगों के लिए शोध का विषय बन गई है 
गुजरात की विशेषकर गत दो दशकों की विकास यात्रा लोगों के लिए शोध का विषय बन गई है। कृषि क्षेत्र में गुजरात ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक नई हरित क्रांति की अगुवाई की है। कृषि महोत्सव की शुरुआत कर उन्होंने अप्रैल और मई महीने की तपती दुपहरी में गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद किया और उन्हें नई तकनीक और उपकरणों की सौगात दी। नतीजा यह रहा कि वर्ष 2002 में 23.48 लाख मीट्रिक टन अनाज उत्पादन के मुकाबले आज 83.25 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन कर गुजरात कृषि क्रांति की नई इबारत लिख रहा है। इसी तरह, सरदार सरोवर बांध और 69,000 किलोमीटर लंबे कैनाल नेटवर्क के साथ ही लाखों चेकडैम के निर्माण से गुजरात के किसानों की सिंचाई सुविधा को सुदृढ़ बनाया है। 
गुजरात में विश्वविद्यालयों की संख्या 102 हो गई है
पशु स्वास्थ्य मेलों का आयोजन कर पशुओं के उपचार और देखभाल का अभियान चलाया है। इसके परिणामस्वरूप गुजरात का दूध उत्पादन वर्ष 2002 के 60 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर आज 158 लाख मीट्रिक टन हो गया है। शिक्षा क्षेत्र की बात करें तो गुजरात में कन्या शिक्षा और स्कूल ड्रॉपआउट की दर एक बड़ी चिंता का विषय थी। श्री मोदी ने इसके लिए ‘कन्या शिक्षा महोत्सव’ और ‘शाला प्रवेशोत्सव’ अभियान चलाया और आज इन दोनों ही मामलों में राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय बदलाव आया है। गुजरात ने आंकड़ों और तकनीक के जरिए पठन-पाठन के स्तर में सुधार लाने के लिए ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ की स्थापना की है, जिसे देश और दुनिया में सराहा जा रहा है। गुजरात में विश्वविद्यालयों की संख्या 20 वर्ष पहले 21 हुआ करती थी, आज यह बढ़कर 102 हो गई है। इसी तरह, इंजीनियरिंग और मेडिकल की सीटों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
गुजरात ने युवा शक्ति को प्रोत्साहन देने के लिए स्टार्टअप नीति घोषित की है
गुजरात एक सुरक्षित और शांत राज्य है। शांति और सुरक्षा की नींव पर गुजरात विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। दंगे अब अतीत की बात बन चुके हैं। राज्य की पुलिस को बॉडी वॉर्न कैमरे, इंटरसेप्टर वैन और स्पीड गन से सुसज्जित किया गया है। सार्वजनिक सुरक्षा के लिए अहम ‘साइबर आश्वस्त’ और ‘विश्वास प्रोजेक्ट’ शुरू कर गुजरात ने देश को नई राह दिखाई है। गुजरात ने ही देश की पहली फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी की स्थापना की है।
गुजरात ने रोजगार और स्टार्टअप के मामले में शानदार प्रदर्शन किया है। गुजरात ने युवा शक्ति को प्रोत्साहन देने के लिए स्टार्टअप नीति घोषित की है, जिसके तहत उन्हें आकर्षक प्रोत्साहन दिया जाता है। गुजरात लगातार तीन वर्षों से स्टार्टअप रैंकिंग में देश में अव्वल रहा है।
ऊर्जा क्षेत्र प्रगति, विकास और खुशहाली का प्रतीक है। गुजरात ने ऊर्जा क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। राज्य में 20 वर्ष पूर्व 8750 मेगावाट की तुलना में आज 40,138 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन 20 वर्ष पहले के 99 मेगावाट से बढ़कर आज 16,588 मेगावाट हो गया है। 3 लाख स्थलों पर सोलर रूफटॉप लगाकर 1171 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। राज्य में 40,000 किलोमीटर से भी लंबा गैस पाइप लाइन नेटवर्क है।
समूचा गुजरात देश भक्ति की भावना के साथ तिरंगामय बन गया है
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर जल संरक्षण के जरिए राज्य की जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गुजरात के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों के निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने और लोगों में राष्ट्रीय भावना जगाने के मकसद से प्रधानमंत्री के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को गुजरात की जनता का शानदार समर्थन मिल रहा है। समूचा गुजरात देश भक्ति की भावना के साथ तिरंगामय बन गया है। आजादी के इस ‘अमृत काल’ में गुजरात विकास के नए आयाम स्थापित करने को संकल्पबद्ध है। राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से समाज के हर तबके के कल्याण और खुशहाली के लिए प्रयासरत है। गुजरात की साढ़े छह करोड़ जनता के सपनों के गुजरात का निर्माण करने को हम कटिबद्ध हैं। 
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