अहमदाबाद : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सुरेन्द्रनगर में राज्य के 22वें सांस्कृतिक वन- ‘वटेश्वर वन’ का किया लोकार्पण

अहमदाबाद : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सुरेन्द्रनगर में राज्य के 22वें सांस्कृतिक वन- ‘वटेश्वर वन’ का किया लोकार्पण

वन महोत्सव के माध्यम से पिछले दो दशक में वन क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय वृद्धि

वन महोत्सव से लोगों में अधिक प्रबल हुई ‘पौधे में ईश्वर का वास’ की भावना
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शुक्रवार को सुरेन्द्रनगर में 73वें वन महोत्सव के राज्यस्तरीय समारोह के अवसर पर सांस्कृतिक वन- ‘वटेश्वर वन’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि और आयोजन से गुजरात देश का ग्रोथ इंजन बना है। ऐसे में राज्य सरकार नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई विकास यात्रा को बेहतर तरीके और तेज गति से आगे बढ़ाने को लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आगे कहा कि वन महोत्सव के माध्यम से राज्य में पिछले दो दशक में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। वन महोत्सव के चलते पिछले दो दशकों में वन क्षेत्र के बाहर वृक्षों की संख्या 25.10 करोड़ के मुकाबले 54 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ आज 39.57 करोड़ हो गई है। उन्होंने कहा कि 2003 में जहां प्रति हेक्टेयर 14 वृक्ष थे, वहीं आज प्रति हेक्टेयर 25 वृक्ष हैं। इससे पूरे गुजरात में वन क्षेत्र के दायरे के साथ-साथ वृक्षों की संख्या में भी कई 
गुना वृद्धि हुई है। वन महोत्सव से लोगों में ‘पौधे में ईश्वर का वास’ की भावना अधिक प्रबल बनी है।
वृक्ष प्रकृति की अनमोल भेंट हैं, उनका संरक्षण और जतन करना सभी का सामूहिक दायित्व : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल
मुख्यमंत्री भुपेन्द्र पटेल ने कहा कि कोरोना काल में लोगों ने ऑक्सीजन की आवश्यकता को महसूस किया है। वृक्ष प्रकृति की अनमोल भेंट है, इनका संरक्षण और जतन करना हम सभी का सामूहिक दायित्व है। सरकार ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत राज्य में 75 स्थलों पर ‘नमो वड वन’ यानी बरगद के वृक्षों का वन स्थापित करने का आयोजन किया है, जिसकी आज यहां शुरुआत की गई है। मुख्यमंत्री ने उपस्थित सभी लोगों से अपने जीवनकाल के दौरान कम से कम एक पौधा लगाने और उसकी देखरेख करने तथा सुरेन्द्रनगर एवं राज्य की जनता से वटेश्वर वन को देखने और यहां की सुविधाओं का लाभ उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों में राष्ट्र भावना प्रबल हो और हृदय में राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत रहे, इसके लिए सभी लोगों से अपने-अपने घरों, कार्यालयों या कामकाज के स्थलों पर तिरंगा फहराकर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में सहभागी बनने की अपील की है।
ऋषि-मुनियों ने औषधियों के जतन में अहम भूमिका निभाई : डॉ. महेन्द्रभाई मुंजपरा
केंद्रीय आयुष, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. महेन्द्रभाई मुंजपरा ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने 5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले वटेश्वर वन के 3.5 हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधे लगाए हैं। आयुर्वेद भगवान द्वारा दिया गया विज्ञान है। ऋषि-मुनियों ने औषधियों के जतन में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वटेश्वर वन में कई पौधों को ऋषि-मुनियों का नाम भी दिया गया है। आयुष मंत्रालय ने ‘नमामि गंगे प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत भी जड़ी-बूटियों के पौधे लगाए हैं। वृक्षों तथा औषधियों के जतन की हमारी विरासत को बनाए रखने तथा नई पीढ़ी के बच्चों में जिज्ञासा वृत्ति को जगाने के लिए ‘प्रोफेसर आयुष्मान’ का भी निर्माण किया गया है।
‘भक्ति वन’ के बाद दूसरे सांस्कृतिक वन की भेंट प्राप्त हुई :  मंत्री किरीटसिंह राणा
राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री किरीटसिंह राणा ने कहा कि आज सुरेन्द्रनगर जिले के लिए गौरव का दिन है क्योंकि जिले को ‘भक्ति वन’ के बाद दूसरे सांस्कृतिक वन की भेंट प्राप्त हुई है। जिले के नागरिकों से वटेश्वर वन का लाभ उठाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि 73वें वन महोत्सव के अंतर्गत राज्य भर में 10.35 करोड़ पौधों का वितरण किया जाएगा।
वृक्ष जीवन का श्रृंगार हैं, जीवन का आधार हैं और प्रकृति की नयमरम्य धरोहर हैं : मंत्री जगदीशभाई विश्वकर्मा 
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जगदीशभाई विश्वकर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में 2004 से वन महोत्सव के अंतर्गत सांस्कृतिक वनों के निर्माण की शुरुआत की थी, तब से लेकर आज तक यह कार्य अविरत चल रहा है। हमारी प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिए अब तक 22 सांस्कृतिक वनों का निर्माण किया गया है। उन्होंने वृक्षों की महत्ता बताते हुए कहा कि वृक्ष जीवन का श्रृंगार हैं, जीवन का आधार हैं और प्रकृति की नयमरम्य धरोहर हैं। ऐसे अनमोल वृक्षों की देखभाल करें और पर्यावरण का संरक्षण करें।  उल्लेखनीय है कि ‘वटेश्वर वन’ राज्य का 22वां और सुरेन्द्रनगर जिले का दूसरा सांस्कृतिक वन है। इसका नामकरण भगवान वडवाला के नाम पर किया गया है। आयुर्वेद और योग की थीम पर 10 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह वन दूधरेज कैनाल साइट पर 5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और यहां 73 
हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इस वन में वनस्पतियों और उनके औषधीय गुणों के अलावा स्थानीय संस्कृति और प्रकृति का परिचय कराने के उद्देश्य से 33 एमीनिटीज यानी सुविधाएं विकसित की गई हैं।
रजवाड़ी स्थापत्य कला, लकड़ी और प्राकृतिक पत्थरों के उपयोग के साथ निर्मित वटेश्वर वन से सुरेन्द्रनगर-झालावाड़ क्षेत्र का इतिहास, साहित्य और संस्कृति के विभिन्न पहलू प्रतिबिंबित होते हैं। इस वन में विभिन्न हिस्सों के रूप में आयुष कलर गार्डन, योगा गार्डन, जेन गार्डन, स्कल्पचर गार्डन, सेंस एंड टच गार्डन और फ्रूट एंड फन पार्क जैसे थीम आधारित बगीचों-विभागों का निर्माण किया गया है। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने सुरेन्द्रनगर-दूधरेज-वढवाण नगर पालिका क्षेत्र में स्वर्णिम जयंती मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना यूडीपी-88 और अनूठी  पहचान योजना के अंतर्गत लगभग 999.77 लाख रुपए की लागत से आकार लेने वाले रिवरफ्रंट (आर्ट्स कॉलेज से बस स्टैंड की ओर) के कार्य का ई-शिलान्यास भी किया।
इस अवसर पर वढवाण के विधायक धनजीभाई पटेल, ध्रांगध्रा के विधायक पुरुषोत्तमभाई साबरिया, वडवाळा देवस्थान के महंत कनीरामदास बापू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक रामकुमार, हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स यू.डी. सिंह, सुरेन्द्रनगर के उप वन संरक्षक धवल गढवी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती बबुबेन पांचाणी, नगर पालिका अध्यक्ष विरेन्द्रभाई आचार्य, अग्रणी सर्वश्री शंकरभाई वेगड़, वर्षाबेन दोशी, बाबूभाई देसाई, धनराज केला, अनिरुद्धसिंह पढियार, शंकरभाई दलवाड़ी और जगदीशभाई मकवाणा सहित कई पदाधिकारी और अधिकारी उपस्थित रहे।
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