गुजरात : उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पत्नी के बदले हिंदू पति को सौंपी बच्चे की कस्टडी

गुजरात : उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पत्नी के बदले हिंदू पति को सौंपी बच्चे की कस्टडी

हाईकोर्ट ने पत्नी को वापस लेने की पति की मांग को खारिज कर दिया

गुजरात उच्च न्यायालय ने एक हिंदू पति द्वारा अपनी मुस्लिम पत्नी और उसके साढ़े तीन साल के बच्चे को वापस पाने के लिए दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में, बच्चे की कस्टडी पिता को सौंप दी है। साथ ही माँ को बच्चे मिलने का अधिकार दिया जाता है। मां हर महीने के पहले शनिवार को राजकोट जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जाकर बच्चे से चार से छह घंटे तक मिल सकती है। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि मां संबंधित अदालत में अर्जी दाखिल कर बच्चे की कस्टडी का दावा कर सकती है। हालांकि इसी मामले में हाईकोर्ट ने पत्नी को वापस लेने की पति की मांग को खारिज कर दिया क्योंकि पत्नी अपने पति के साथ नहीं जाना चाहती थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी वयस्क है और अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। आपको बता कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि बच्चा पिता के साथ अधिक सहज लग रहा है। पिता आर्थिक रूप से संपन्न हैं, उनकी आमदनी अच्छी है। जिससे वह बच्चे को अच्छी शिक्षा दे सके। दूसरी ओर, मां की कोई आय नहीं है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए बच्चे को पिता के हवाले कर दिया जाता है। याचिकाकर्ता के पिता के वकील ने कहा कि उसकी पत्नी और उसके साढ़े तीन साल के बच्चे को उसकी पत्नी के रिश्तेदारों ने अवैध रूप से रखा था। इन दोनों को मुक्त करें।

मामले के बारे में बता दें कि इस दंपति की पांच साल पहले शादी हुई थी और उनका साढ़े तीन साल का एक बच्चा भी है। शादी के पांच साल बाद पत्नी के भाई ने उसे धमकाया। कुछ ही देर में पत्नी के परिजन पत्नी और बच्चे को ले गए। इसलिए पति ने दोनों को वापस पाने के लिए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने मध्यस्थता के जरिए इस मसले को सुलझाने की कोशिश की। हालांकि, कोई समाधान नहीं हुआ।