अहमदाबाद : वेश्यावृत्ति में देश भर में कुख्यात वाडिया गांव बदलाव की ओर, गांव की लड़की ने पहली बार 12वीं पास की
By Loktej
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पढ़ी-लिखी बेटियां समाज और गांव से पुराने धंधे को छोड़कर बेटियों को शिक्षित करने की वकालत कर रही हैं
आजादी के इतने साल बाद पहली बार बनासकांठा के वाडिया गांव में गांव की लड़की ने 12वीं पास की है, जबकि बाकी पांच बेटियों ने कक्षा १० पास करने से अब देहव्यापार की ओर से मोह भंग कर शिक्षण की ओर रुख करने से गांव में सुनहरा सूरज उग आया हो ऐेसा अहसास हो रहा है। जब भी वेश्यावृत्ति की बात की जाती है तो बनासकांठा के थराड का वाडिया गांव का नाम सामने आ ही जाता है। इस गांव के 250 परिवारों में करीब 700 लोग रहते हैं। सालों से यह गांव वेश्यावृत्ति में लिप्त था। यहां की बेटियों को जवान होते ही ही वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता था और इसी वजह से वाडिया गांव बदनाम हो गया, लेकिन समय के साथ सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रयासों से कुख्यात गांव की दशा और दिशा बदल गई है।
आजादी के इतने साल बाद वाडिया गांव की बेटी रविना ने 12वीं पास की और 60 प्रतिशत अंक हासिल किए। जबकि गांव की पांच बेटियां भी कुख्यात गांव से बाहर रहकर 10वीं पास कर चुकी हैं। पढ़ी-लिखी बेटियां समाज और गांव से पुराने धंधे को छोड़कर बेटियों को शिक्षित करने की वकालत कर रही हैं। गांव के स्थानीय लोगों के अनुसार वेश्यावृत्ति के कुख्यात गांव में कुछ साल पहले बेटियों का शोषण किया जा रहा था और गांव के युवक लूटपाट कर रहे थे। इस गांव में बाहर के लोगों को लूटने के कई घटनाएं हैं, जिस पर सरकार और प्रशासन की कड़ी नजर रख रही है और सामाजिक संगठन स्थानीय लोगों में जागरूकता बढ़ा रहे हैं। जिससे गांव अब बदलाव की ओर बढ़ रहा है। गांव में विद्यालय बने हैं, पक्का मकान बन रहे हैं, वर्षों पूराने कलंक को मिटाने के लिए गांव के अग्रणी अब तैयार हैं। जिससे आने वाले वर्षों में इस गावं की दशा और दिशा बदलने वाली है।
सालों पहले इस गांव में वेश्यावृत्ति के अलावा कोई दूसरा धंधा नहीं था लेकिन आज इस कुख्यात गांव में वीएसएम संगठन की मित्तलबेन पटेल के अथक प्रयासों से गांव की छवि बदल गई है। गांव के लोग ब्याज मुक्त कर्ज लेकर कारोबार कर रहे हैं। वाडिया गांव की कई बेटियों और बेटों को शिक्षण संस्थान में शिक्षित करने का बहुत अच्छा काम किया है, वहीं आज लोग कह रहे हैं कि वे वाडिया गांव के परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। गांव को देह व्यापार से छुड़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सालों पहले छोटी-छोटी झोंपड़ियों में बंटा यह गांव आज कतारबद्ध पक्का मकानों के साथ-साथ शौचालय समेत अन्य सुविधाओं की ओर दौड़ रहा है। देह व्यापार से जुड़े लोग शिक्षा की ओर जाकर गांव पर लगे देह व्यापार के कलंक को मिटाने को तैयार है। अाज वाडिया गाम के अनेक बच्चे अहमदाबाद, पाटन, डीसा, पालनपुर, एवं थराद में शिक्षा ले रहे हैं, जो आगामी सालों में इस गांव को नई दिशा देंगे।
वाडिया गांव के उत्थान और वेश्यावृत्ति की समाप्ति के लिए थराड़ की शारदाबेन के प्रयास भी सराहनीय हैं। आज भी वे वाडिया के 50 बच्चों को अपने छात्रावास में पढ़ा रहे हैं। रवीना की मां ने उनकी मृत्यु के समय अपनी बेटी को शिक्षित करने की जिम्मेदारी शारदाबेन को सौंपी थी। वही रविना ने आज कक्षा 12 पास कर ली है। थराड में रहकर वाडिया गांव की शिक्षा के लिए सतत चिंतित हैं और गांव की बुराइयों को मिटाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वर्षों पुरानी बुराइयों को रोकने में समय में लगेगा, लेकिन अब शुरुआत हो चुकी है। आज सामाजिक संगठन इससे संतुष्ट हैं और शिक्षा के माध्यम से गांव में बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।
हाल में इस वर्ष आई इस गावं की लड़कियों का परिणाम आने वाले वर्षों के लिए गांव की अन्य बेटियों के लिए एक उदाहरण रुप बनेगी। आज जो रविना ने 12 वीं कक्षा पास की और गांव में शिक्षा की मशाल जलाई है, जिसके कारण आगामी वर्षों में गांव की लड़कियां देह व्यापार छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में सफल होगी, इसमें कोई संदेह नही है।
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