सोने के बढ़ते दामों के मद्देनजर छोटे निवेशकों के लिए जौहरियों ने लांच किये 0.5 ग्राम के नन्हे कॉइन

सोने के बढ़ते दामों के मद्देनजर छोटे निवेशकों के लिए जौहरियों ने लांच किये 0.5 ग्राम के नन्हे कॉइन

बढ़ते हुये दामों के कारण निवेश करने से कतरा रहे है लोग

दुनिया भर में उत्पन्न हुई विभिन्न परिस्थितियों के कारण सोने की कीमतों में काफी इजाफा देखने मिल रहा है। कोरोना के बाद सोने की कीमत 50 हजार के पार कर गई है। ऐसे में सबसे सुरक्षित निवेश होने के बावजूद भी लोग सोने में उसकी अधिक कीमतों के कारण निवेश नहीं कर पा रहे है। ऐसे में कई जौहरियों ने इसका नया तोड़ निकाल लिया है। हर कोई सोने में निवेश कर सके इस हेतु से कुछ जौहरियों द्वारा 0.5 ग्राम के नन्हें सोने के सिक्के बनाके दिये जा रहे है।
वास्तव में, यह एक मिथक है कि सबसे अमीर खरीदार सोने की खरीद में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय घरेलू सोने की खपत पर इंडिया गोल्ड पॉलिसी सेंटर (आईजीपीसी) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सोने की खरीद की मात्रा का 89 फीसदी मध्यम आय वर्ग से आया है, जिसकी सालाना आय 2-10 लाख रुपये है। हालांकि कोरोना के बाद लोगों की खरीदशक्ति कम हो गई है और वह आसानी से इन सोने के सिक्कों में निवेश नहीं कर पा रहे है। क्योंकि इसके लिए उन्हें काफी बड़े निवेश की जरूरत पड़ रही है।
अहमदाबाद के ज्वैलर्स एसोसिएशन ( जेएए ) के सचिव निशांत सोनी ने कहा की सोने के खरीददारओन में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो नियमित रूप से कम मात्रा में सोने में निवेश करना चाहते है। हालांकि सोने की कीमतों के 50 हजार के पार जाने के बाद ऐसे निवेशकों की संख्या में कमी आने लगी। यहीं कारण है कि उन्होंने भी सोने के इन छोटे सिक्कों के बारे में सोचना शुरू किया है। सोनी ने यह भी कहा कि इन छोटे मूल्य के सिक्कों के कारण छात्र भी सोने के सिक्कों और बार में निवेश करना शुरू किया है। 
कोरोना के बाद एक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में निवेश करने के बारे में और भी अधिक जागरूकता आई है। जेएए के पूर्व प्रेसिडेंट रोहित चोकसी के अनुसार, कोरोना के दौरान कई लोगों ने अपनी हर दिन की जरूरतों को पूर्ण करने के लिए सोने को बेच कर गुजारा किया। इसके अलावा कई छोटे व्यापारियों ने भी सोना बेच कर अपना बिजनेस जिंदा रखा था। चोकसी ने यह भी बताया कि लोगों को सोने में निवेश को लेकर काफी श्रद्धा है कि वह उन्हें बुरे समय में साथ देगा। हालांकि इस समय बढ़ती हुई कीमतों के कारण लोग उसमें निवेश करने से कतरा रहे है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 के दौरान गुजरात में 28 मेट्रिक टन गोल्ड बेचा गया था, जिससे की लोग अपनी जरूरतों को पूर्ण कर सके।