अहमदाबाद : समग्र विश्व को प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने की दिशा के ब्रांड अम्बेसडर बनेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी : केन्द्रीय गृहमंत्री

अहमदाबाद : समग्र विश्व को प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने की दिशा के ब्रांड अम्बेसडर बनेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी :  केन्द्रीय गृहमंत्री

केन्द्रीय गृहमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्रियों ने दिया वर्च्युअल मार्गदर्शन-1000 किसान भी सहभागी हुए

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने  कहा कि खेती को रसायनमुक्त बनाकर जमीन की उत्पादकता बढ़ाने और प्राकृतिक कृषि से खेती समृद्धि की सही दिशा में विश्व को मोड़ने वाले संकल्प के ब्रांड अम्बेसडर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी बनेंगे। गृहमंत्री ने कहा कि देश में दशकों तक रासायनिक खाद के उपयोग से खेती होती रही है। इस कालबाह्य प्रणाली के जो परिणाम नजर आए हैं, उनसे स्वास्थ्यप्रद जीवन के सामने घोर संकट नजर आ रहा है और इसका बेहतर विकल्प प्राकृतिक कृषि ही दिखायी पड़ रहा है। केन्द्रीय गृहमंत्री अपने संसदीय मतक्षेत्र गांधीनगर के गांवों की किसानशक्ति और ग्रामीण किसानों के साथ प्राकृतिक कृषि विषयक मार्गदर्शन सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए वर्च्युअली सम्बोधन कर रहे थे। 
गांधीनगर-अहमदाबाद ग्रामीण क्षेत्र के 1000 से ज्यादा किसान और प्राकृतिक कृषि के समर्थक इसमें शामिल हुए। राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, कृषिमंत्री राघवजी पटेल तथा राज्यमंत्री मुकेश पटेल इस परिसंवाद में गांधीनगर से गृहमंत्री के साथ शामिल हुए। 
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्राकृतिक कृषि की ओर यह प्रयाण समयचक्र को सही दिशा प्रदान करने वाला है। जमीन का स्वास्थ्य बिगड़ने से रोकने के लिए तथा भूगर्भीय जल को जहरीला बनाने से बचाने के लिए रासायनिक खाद के उपयोग से मुक्त प्राकृतिक कृषि पद्धति आधारित खेती की ओर सबकी नजरें हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि क्षेत्र के इस संकट को परखकर इसका विकल्प खोज लिया है। देश के 8 करोड़ से ज्यादा किसानों के लिए प्राकृतिक कृषि लाभदायी है। यह प्रतिपादित करते सर्वे भी करवाए गए हैं। 
गुजरात ने प्राकृतिक कृषि क्षेत्र की अगवानी लेने की प्रतिबद्धता के साथ राज्य के दो लाख से ज्यादा किसानों को इस मार्ग पर प्रशस्त किया है। श्री शाह ने प्राकृतिक कृषि को ज्यादा प्रोत्साहन देने के लिए आगामी वर्ष 2025 तक गांधीनगर संसदीय मतक्षेत्र के 50 फीसदी किसानों को नेचरल फार्मिंग की ओर प्रशस्त करने का संकल्प जताया। किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के संकल्प को दोहराते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री ने वर्ष 2022 के अंत तक गांधीनगर की तहसीलों के तमाम गांवों में प्रतिगांव 15 किसानों को प्राकृतिक कृषि करने का लक्ष्य दिया। उन्होंने आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ, तन्दुरुस्त और सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक कृषि अपनाकर आत्मनिर्भर होने का प्रेरक आह्वान किया। श्री शाह ने गुजरात द्वारा प्राकृतिक कृषि करते किसानों के उत्पाद सीधे मार्केट पहुंचें, उपभोक्ताओं को शुद्ध सात्विक कृषि उत्पाद स्थानीय स्तर पर मिलें इसके लिए एफपीओ-ई व्हिकल की पहल की सराहना की। 
नेचरल फार्मिंग से देश का किसान आत्मनिर्भर-उन्नत बनेगा : राज्यपाल  

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अहमदाबाद- गांधीनगर के प्रगतिशील किसानों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि रासायनिक खेती के कारण जमीन की उर्वरकता क्षीण हो रही है। कृषि उत्पादन भी लगातार घट रहा है। जल, जमीन और पर्यावरण प्रदूषित होने से लोग असाध्य बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। ऐसे में रासायनिक कृषि के इन दुष्परिणामों का निवारण करने के लिए हमें प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना होगा और प्राकृतिक कृषि अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि गत 16 दिसम्बर 2021 को आणंद कृषि युनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमितभाई शाह ने देश के 8 करोड़ किसानों का आह्वान किया था कि आत्मनिर्भर कृषि- आत्मनिर्भर किसानों से आत्मनिर्भर भारत का संकल्प पूर्ण किया जा सकेगा और भारत के किसानों को समृद्ध बनाने का संकल्प प्राकृतिक कृषि से ही पूरा होगा। 
वर्तमान समय में प्राकृतिक कृषि की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्यपाल ने कहा कि 60 के दशक में रासायनिक कृषि आवश्यकता थी लेकिन आज इसके दुष्परिणाम नजर आ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का निवारण करने के लिए प्राकृतिक कृषि ही एकमात्र उपाय है। इससे 50 फीसदी जितने पानी की बचत होती है और कृषि की लागत करीब करीब शून्य हो जाती है। 
राज्यपाल ने कहा कि गाय आधारित प्राकृतिक कृषि वैज्ञानिक रूप से सिद्ध पद्दति है। इससे अनेक किसानों को लाभ हुआ है। खेती की भी बढ़ गई है। हिमाचल प्रदेश में में डेढ़ लाख किसान इस कृषि प्रणाली से उपज ले रहे हैं। इसी प्रकार गुजरात में भी दो लाख से ज्यादा किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। साथ ही, गत एक माह में 10,000 जितने किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि के प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के लिए राजभवन के साथ ही विशेषज्ञों की टीम भी इस दिशा में कार्यरत और प्रयासरत है।
हिमाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक अभ्यास के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक कृषि करते किसानों का खर्च 56 फीसदी घटा है जबकि किसानों की आय में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। राज्यपाल ने रसायनयुक्त खेती को तिलांजलि देकर अपनी प्राचीन परम्परा के अनुसार गाय आधारित प्राकृतिक कृषि अपनाने का किसानों से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि एक देशी गाय के गोबर और गौमूत्र से  30 एकड़ जमीन में प्राकृतिक कृषि की जा सकती है।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक कृषि मात्र खेती ही नहीं बल्कि जीवन दर्शन है। रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण प्रकृति को हुए नुकसान के दुष्प्रभाव का निवारण करने के लिए प्राकृतिक कृषि क्रांतिकारी परिवर्तन है। प्राकृतिक खेती से जल-जमीन-पर्यावरण की रक्षा होती है। आज समग्र विश्व ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का सामना कर रहा है इसका कारण जल और पर्यावरण का प्रदूषण है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने के कारण प्रदूषण फैला है। आज तो सांस लेने की हवा भी प्रदूषित हुई है। प्राकृतिक कृषि से जमीन की उर्वरकता बनी रहेगी। पानी का कुदरती रूप से जमीन में संग्रह होगा और वातावरण शुद्ध बनेगा। 
आज केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में लांच किए गए प्राकृतिक कृषि के लोगो, ई- व्हिकल और एप के बारे में राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा देशी गाय के पालन पोषण के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही थी लेकिन अब इन नये प्रकल्पों से किसानों की उपज की बिक्री और मार्केटिंग की सुविधा भी खड़ी होगी। इसके लिए उन्होंने अमित शाह का आभार जताया। 
प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना ही श्रेष्ठ विकल्प :  मुख्यमंत्री भुपेन्द्र पटेल 
मुख्यमंत्री  भूपेन्द्र पटेल ने प्राकृतिक कृषि पर आधारित इस परिसंवाद को कृषि संक्रांति करार देते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव ने कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य प्राकृतिक कृषि को गतिमान बनाकर साकार करेंगे। उन्होंने कहा कि जल-जमीन और पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अब बेक टु नेचर प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना ही श्रेष्ठ विकल्प है। विश्व के ज्यादातर देशों में नेचरल फार्मिंग- जीरो बजट कृषि उत्पादों की भारी मांग है। हमने इस पद्धति के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए स्टेट प्रोजेक्ट इम्प्लिमेंटेशन युनिट राज्य में स्थापित करने का आयोजन किया है। मुख्यमंत्री ने हेल्थ इज वैल्थ को साकार करने के लिए प्राकृतिक कृषि से उत्पादित खाद्य उत्पादों और अनाज के व्यापक उपयोग की हिमायत भी की। 
इस सेमीनार में कृषिमंत्री राघवजी पटेल ने सबका स्वागत करते हुए इसका उद्देश्य स्पष्ट किया। राज्यमंत्री मुकेश पटेल, मुख्यमंत्री के मुख्य अग्र सचिव  के. कैलाशनाथन, मुख्य सचिव  पंकज कुमार, कृषि के अग्र सचिव मनीष भारद्वाज, पशुपालन सचिव  नलिन उपाध्याय सहित कई वरिष्ठ अधिकारी गांधीनगर से शामिल हुए। साथ ही कई विधायक- अग्रणी और पूर्वमंत्री आदि विभिन्न जिला- तहसील मुख्यालयों से शामिल हुए।  
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