कौन कहता है सरकारी अस्पताल के इलाज पर लोग भरोसा नहीं रखते? बीमा कंपनी के इस मैनेजर की कहानी जानें
By Loktej
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50 लाख का मेडिकल इन्स्योरंस होने के बावजूद इलाज के लिए पसंद किया अहमदाबाद की सिविल अस्पताल को
देश भर में कोरोना और ब्लैक फंगस के केसों ने कोहराम मचा कर रखा है। एक और जहां कोरोना के केस कम होने लगे, वहीं दूसरी और ब्लैक फंगस के केसों ने लोगों की जान हलक में रखी हुई है। लगातार बढ़ रहे ब्लैक फंगस के केसों के कारण सरकार ने म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस को महामारी भी घोषित कर दिया है। सरकार द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। हालांकि अभी भी कई लोग सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने से डरते है, ऐसे में अहमदाबाद से सामने आए एक मामले के बाद लोग सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर हो जाएगे।
न्यूज वैबसाइट Meranews.com की जानकारी के अनुसार, खेड़ा जिले के नडियाद में रहने वाले विलासभाई आंबेटकार जो की एक निजी बीमा कंपनी में आसिस्टनट डिवीज़नल मैनेजर के तौर पर काम करते थे। पिछली 20 अप्रैल को विलासभाई कोरोना संक्रमित हुये थे, जिसके चलते उन्होंने नडियाद की एक निजी अस्पताल में इलाज करवाया था। इस दौरान उन्हें काफी समय के लिए ऑक्सीज़न की जरूरत पड़ी थी और उन्हें रेमड़ेसिविर इंजेक्शन भी दिया गया था। इसके बाद वह ठीक हो गए थे। हालांकि 15 मई के आसपास उन्हें अचानक आँख के आसपास के हिस्सों में दर्द शुरू होने लगा और सूजन भी हो गया। जिसके चलते उन्होंने 16 मई को एक निजी डॉक्टर की सलाह के अनुसार एमआरआई और एंडोस्कोपि का रिपोर्ट करवाया, जिसमें उन्हे सायनस फंगस होने की जानकारी मिली।
विलासभाई पहले से ही डायबिटिस, थाइरोइड और आर्थराइटिस जैसी बीमारी से परेशान थे। इसलिए वह बिना कुछ सोचे अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती हो गए। जहां उन्हें म्यूकरमाइकोसिस के लिए बनाए गए वोर्ड में ले जाया गया। जहां बायोप्सी के बाद 24 तारीख को उनकी सफलतापूर्वक चेकिंग की गई। सर्जरी के बाद अभी विलासभाई सिविल में ही भर्ती है। अपने इलाज के बारे में बात करते हुये विलासभाई कहते है कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें एक सरकारी अस्पताल में इतना अच्छा इलाज मिल सकेगा। यहाँ डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मचारी सभी अपना कार्य काफी बखूबी निभा रहे है। अस्पताल में सभी कर्मचारियों के ऊपर काम का काफी ज्यादा लोड है, इसके बावजूद वह मरीजों कि सेवा करने के लिए अपने सभी प्रयास कर रहे है।
बता दे कि विलासभाई के पास कंपनी द्वारा दिया गया 50 लाख रुपए का जीवनरक्षक मेडिकल कवच था। जिसके चलते वह किसी भी निजी अस्पताल में आसानी से काम करवा सकते थे। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने अपना इलाज करवाने के लिए सरकारी अस्पताल को ही चुना। उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद के असरवा इलाके में आई सिविल अस्पताल एशिया की सबसे बड़ी अस्पताल है, जहां पिछले डॉ महीनों में ही 852 म्यूकरमाइकोसिस के मरीजों को भर्ती करवाया गया है। इन मरीजों में से 456 मरीजों की सफल सर्जरी भी हो चुकी है।