अहमदाबाद : कोरोना के कारण हुआ किरायेदार का निधन, जमीन मालिक ने माफ किया 4.90 लाख का भाड़ा

अहमदाबाद : कोरोना के कारण हुआ किरायेदार का निधन, जमीन मालिक ने माफ किया 4.90 लाख का भाड़ा

महामारी के कठिन समय में अहमदाबाद से आई मानवता को गौरवान्विंत करने वाली तीन घटना

राज्य में कोरोना महामारी के बीच कई लोगों की नौकरी चली गई होने की खबरे सामने आई है। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां कुछ लोगों ने आर्थिक तंगी के कारण अपनी जीवनलीला खतम कर ली, तो वहीं कुछ लोग घर का किराया नहीं दे पाने के कारण भी आत्महत्या कर रहे हैं। जहां एक और कई लोग कोरोना की परिस्थिति का लाभ उठाते हुये मजबूरों का खून चूस रहे है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी जो इस कठिन समय में भी अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर लोगों की सहायता कर रहे है। कुछ ऐसे ही मामले जो की अहमदाबाद से सामने आए है, आज हम उसके बारे में आपको बताएँगे। 
पहली घटना अहमदाबाद के मीरपुर की है, जहां एक मकान मालिक ने किरायेदार 4.90 लाख रुपये किराया माफ किया। सोमा पटेल नाम के एक शख्स ने मीरपुर में अपनी कृषि योग्य जमीन मुकेश चोपड़ा नाम के शख्स को 7 लाख रुपये सालाना ठेके पर दी थी। कोरोना महामारी के बीच मुकेश चोपड़ा और उनके पिता का निधन हो गया। उधर, मुकेश चोपड़ा ने आलू की फसल के साथ लगाई थी लेकिन इस साल आलू की कीमत में भी कमी आई। एक तरफ घर के मुखिया की मौत से परिजन दुखी हैं तो दूसरी तरफ फसलों के भाव नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते परिवार का दर्द और परिस्थिति समजते हुये सोमा पटेल ने 4.90 लाख रुपए जमीन का किराया माफ कर दिया।
दूसरी घटना में भौमिक पटेल नाम के एक बिजनेसमेन ने अपना घर कमलेश उपाध्याय नाम के एक व्यक्ति को दिया, जो यात्रा व्यवसाय में शामिल था। कोरोना महामारी ने यात्रा व्यवसाय पर भारी असर डाला था। जिससे कमलेश उपाध्याय की आर्थिक स्थिति काफी विकट हो गई। महामारी के बीच ही कमलेश उपाध्याय का कुछ समय पहले ही निधन हो गया। इस तरह से कमलेश की मृत्यु से कमलेश के घरवाले काफी सदमें में आ आ गए थे। जिसके बाद कमलेश के घर की स्थिति को देखते हुये भौमिक ने उनका 6 महीने का 1,50,000 रुपये का किराया माफ कर दिया है।
तीसरी घटना की सूचना अहमदाबाद के बापूनगर इलाके की है। जहां रहने वाले हितेश उंडविया ने अपने भादुआतों का तीन महीने का भाड़ा माफ कर दिया। हितेश उंडविया ने कहा कि कोरोना महामारी ने लोगों के व्यवसाय और रोजगार को प्रभावित किया है। कई दुकान वाले जो दुकान किराए पर लेकर व्यापार कर रहे थे, वे भी किराया देने की स्थिति में नहीं थे। उन्हें घर चलाने में भी दिक्कत होती थी, इसलिए उन्होंने इस स्थिति में अपने तीन किराएदारों का 60,000 रुपये प्रति माह का किराया माफ कर दिया है। साथ ही, मैंने अपने किरायेदारों से कहा है कि अगर उनके पास एक महीने से अधिक का किराया बचा है तो चिंता न करें और सवाल उठने पर भुगतान करें।