कभी मैदान के बाहर बेचता था पानीपूरी, आज बड़े-बड़े गेंदबाजों के छक्के उड़ा रहा है यह खिलाड़ी

कभी मैदान के बाहर बेचता था पानीपूरी, आज बड़े-बड़े गेंदबाजों के छक्के उड़ा रहा है यह खिलाड़ी

संघर्ष के दिनों के दौरान पानीपूरी बेचकर गुजारा चलाते थे यशस्वी, कई बार खाये बिना ही सोना पड़ता था

इंडियन प्रीमियर लीग के कारण कई खिलाड़ियों की किस्मत बदल गई है, उनमें से एक क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल भी है। घरेलू क्रिकेट में महज 17 साल की उम्र में यूथ वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले यशस्वी जायसवाल ने कड़ी मेहनत के बाद बड़ी कामयाबी हासिल की। एक ऐसा भी समय था जब यशस्वी जायसवाल अपना पेट भरने के लिए मुंबई में पानीपुरी बेचते थे। पर आज यशस्वी जायसवाल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहे है और एक सीजन में 2.4 करोड़ रुपए फीस लेते है।
अंडर-19 वर्ल्ड कप 2020 के दौरान यशस्वी जायसवाल का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। यशस्वी जायसवाल के संघर्ष की कहानी बहुत कम लोग ही जानते हैं। पेट पालने के लिए यशस्वी जायसवाल मुंबई के आजाद मैदान के बाहर ही पानीपूरी बेचते थे। यशस्वी अपने प्रशिक्षण के दौरान एक तंबू में रहते थे, लेकिन उनमें सफलता का जुनून था। अंडर-19 विश्व कप 2020 में यशस्वी जायसवाल ने 400 रन बनाए, जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल थे।
यशस्वी जायसवाल को उनके खेल के लिए मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी जीता था।  जायसवाल को राजस्थान रॉयल्स ने 2020 की आईपीएल नीलामी के दौरान 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा था। यशस्वी जायसवाल का नाम तब सबसे अधिक चर्चा में आया, जब उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी मैच में झारखंड के खिलाफ 154 गेंदों में 203 रनों की तेज पारी खेली।  

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी का बचपन बेहद गरीबी में बीता है, जायसवाल 11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई आ गए थे। कई दिन ऐसे भी रहते थे, जब वह बिना खाये सोते थे। इस दौरान वह एक डेयरी में काम करने लगे। पर एक दिन उसे डेयरी वालों ने निकाल दिया। इस दौरान एक क्लब उनकी सहायता के लिए आई। उन्होंने उसे अच्छा खेलने के शर्त पर टेंट में रहने कि अनुमति दी। 
टेंट में उसे रोटी बनाने का काम मिला था। इसके अलावा आजाद मैदान मे होने वाले मैचों के दौरान बोल ढूंढकर लाने पर भी उन्हें पैसे मिलते थे। एक दिन मैदान में खेलते वक्त उन पर कोच ज्वाला सिंह की नजर पड़ी। जिन्होंने यशस्वी के खेल में निखार लाया। यशस्वी जायसवाल भी अपने कोच की प्रशंसा करते नहीं थकते। वह उन्हें अपना दूसरा पिता भी कहते है।
Tags: