रक्षाबंधन विशेष : जानें 'सर' जाडेजा की बहन नयनाबा की कहानी, क्रिकेटर बनाने में दिया था काफी योगदान

रक्षाबंधन विशेष : जानें 'सर' जाडेजा की बहन नयनाबा की कहानी, क्रिकेटर बनाने में दिया था काफी योगदान

माता की मौत के बाद क्रिकेटर बनने का अपना सपना छोड़ दिया था जाडेजा ने

इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने नाम का लोहा मनवाने वाले रविंद्र जाडेजा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। इस बारे में बात करते हुये जाडेजा की बड़ी बहन नयनाबा कहती है कि जब कभी भी किसी त्योहार या रक्षाबंधन में भाई नहीं होता तो वह आशापूरा मटा के चरणों में राखी रखकर भगवान गणेश को राखी बांध देती है। स्थानीय वर्तमान पत्र दिव्य भास्कर के साथ बातचीत करते हुये नयनाबा ने इस बारे में खुलासा इया था। 
उल्लेखनीय है कि जाडेजा के क्रिकेटर बनने में सबसे अधिक योगदान उनकी बहन का ही था। नयनाबा कहती है कि रविंद्र मात्र 17 साल का था जब उनकी माता एक दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त हुई थी। उस समय उनके सर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। तीनों भाई में रविंद्र सबसे छोटे थे। उसकी आँखों में कई सपने थे, जिसे वो साकार करना चाहते थे। इसलिए ही आर्मी की परीक्षा पास करने के बावजूद उन्होंने रविंद्र का क्रिकेटर बनने का सपना पूरा किया। उनकी माता का भी सपना था कि रविंद्र क्रिकेटर बने, इसलिए उन्होंने सबकुछ किया जो वह कर सकते थे। आज उसके ऊपर उन सभी को काफी गौरव है। 
नयनाबा कहती है कि उनके पिता उसे एक आर्मी ऑफिसर बनाना चाहते थे, पर उसकी मम्मी हमेशा से उसे क्रिकेटर बनाना चाहते थे। रविंद्र भी बचपन से उसी के लिए मेहनत कर रहा था। हालांकि उन्हें इस बात का अफसोस है कि उनकी माता उसे खेलते हुये नहीं देख पाई। नयनाबा कहती है उनकी मात्र एक ही इच्छा है कि रविंद्र इसी तरह से अपना अच्छा प्रदर्शन देते रहे और नंबर 1 का स्थान प्राप्त करे। 
रविंद्र जाडेजा के पिता अनिरुद्ध जाडेजा कहते है कि माता कि मृत्यु के बाद रविंद्र काफी टूट गए थे। उसने क्रिकेट छोड़ने का निर्णय ले लिया था। ऐसे में नयनाबा ने  उसे माता का प्रेम देकर उसे सँभाला। उसकी छोटी से छोटी जरूरतों का वह काफी अच्छे से ध्यान रखती। बचपन में जाडेजा को सब जड्डुस कहते थे। इसी नाम पर जाडेजा ने राजकोट के कालावड रोड पर एक होटल खोला था, जिसका संचालन उनकी बहन कर रही है।