जब तक कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद जारी है, तब तक भारत-पाक क्रिकेट की जरूरत नहीं : गौतम गंभीर

कहा - क्रिकेट कोई मायने नहीं रखता, बल्कि हमारे सैनिक रखते हैं।

आरती टीकू सिंह 

नई दिल्ली (आईएएनएस)| लोकसभा सांसद और पूर्व स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को फिर से शुरू करने के विचार का कड़ा विरोध किया है। गंभीर का मानना है कि जब तक इस्लामाबाद जम्मू एवं कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद को बंद नहीं कर देता, तब तक भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए।

राष्ट्रीय राजधानी में अपने घर पर आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में गंभीर ने यह बात कही। वर्ष 2007 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए टी-20 विश्व कप फाइनल और 2011 के भारत-श्रीलंका वनडे विश्व कप फाइनल के स्टार गौतम गंभीर ने कहा, "आखिरकार, क्रिकेट कोई मायने नहीं रखता, बल्कि हमारे सैनिक रखते हैं।"

हालांकि अंतर्राष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहे पाकिस्तान का दावा है कि उसने अपने देश में पनप रहे आतंकी समूहों पर शिकंजा कसा है, लेकिन उसने जम्मू-कश्मीर में हथियारबंद आतंकवादियों को भेजना जारी रखा है। पिछले कुछ हफ्तों में नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश में नागरिकों और सुरक्षा बलों के खिलाफ आतंकी हमले भी बढ़े हैं।

2019 के संसदीय चुनावों में दिल्ली में भाजपा की कमान संभालने वाले नेशनल आइकन गंभीर ने तर्क दिया कि भारतीय क्रिकेटरों को देश के लिए खेलने के लिए अच्छा-खासा भुगतान किया जाता है, लेकिन सैनिक देश की निस्वार्थ रूप से रक्षा करते हैं।

उन्होंने कहा, "मैंने देश के लिए खेलते हुए और जीतकर किसी पर कोई उपकार नहीं किया है। लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति को देखें, जो सियाचिन या पाकिस्तान सीमा पर हमारा बचाव कर रहा है और थोड़े से पैसे लेकर ही अपनी जान जोखिम में डाल रहा है। असल में तो वही हमारे देश के सबसे महान नायक हैं।"

गंभीर बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन जब वह स्कूल में थे और उन्होंने घरेलू स्तर पर खेली जाने वाली प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी में खेलना शुरू किया तो उनके माता-पिता ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए खेलने के लिए मनाया था।

लोकसभा में पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले गंभीर ने उस बात को याद करते हुए कहा, "यह देश के लिए खड़े होने का एक और तरीका था, इसलिए मैं सहमत हो गया।"

हालांकि सेना और भारतीय सेना की वर्दी के लिए उनका प्यार बरकरार है, लेकिन उन्होंने भारत में नागरिकों के लिए बनी प्रादेशिक सेना में शामिल होने के लिए किसी भी मानद पेशकश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने सैनिकों की वर्दी को पवित्र बताते हुए कहा कि इसे पहनने वाले सैनिक अपना खून बहाते हैं, देश की रक्षा करते हुए अपने जान का भी बलिदान दे देते हैं। उन्होंने कहा, "ऐसा कोई व्यक्ति, जो इस कदर बलिदान नहीं देता है, तो फिर उसे इस वर्दी नहीं पहनना चाहिए।"

बाएं हाथ के पूर्व सलामी बल्लेबाज का मानना है कि पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर में गोलियां खाने वाले सैनिकों के लिए बोलना प्रत्येक भारतीय की नैतिक जिम्मेदारी है। मालूम हो कि क्रिकेटर गौतम गंभीर की कप्तानी में भारतीय टीम ने 2010 से 2011 के बीच सभी छह वनडे मैच जीते हैं।

गंभीर ने कहा, "वे हमारी रक्षा के लिए अपनी जान दे देते हैं। कम से कम हम उनके साथ खड़े तो हो ही सकते हैं।" गंभीर ने जोर देते हुए कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकता है, तब तक भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए। 

गंभीर एकमात्र भारतीय और उन चार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिन्होंने लगातार पांच टेस्ट मैचों में शतक जमाए हैं।