पाकिस्तान में हिन्दू : जन्माष्टमी के उत्सव के दौरान दंगाइयों में किया मंदिर पर हमला, कृष्ण जी की मूर्ति तोड़ी
By Loktej
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पाकिस्तान के सिंध में हिंदू धर्म के लोगों और स्थानों पर हमले बहुत आम
पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र के सांघार जिले के खिप्रो में जन्माष्टमी के दिन दंगाइयों ने कृष्ण मंदिर में तोड़फोड़ की. सोमवार को दंगाइयों ने मंदिर में कृष्ण प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की। यह घटना मंदिर में जन्माष्टमी के त्योहार को मनाने के लिए आयोजित की गई एक धार्मिक समारोह के दौरान हुई। इस घटना के बाद से इलाके में तनाव बढ़ गया है। इसके बाद पूरे इलाके में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। हालांकि अभी तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
आपको बता दें कि यह जानकारी एक पाकिस्तानी एक्टिविस्ट वकील राहत ऑस्टिन द्वारा दी गई। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक कृष्ण मंदिर में तोड़फोड़ की गई है। उन्होंने आगे कहा कि हमला उस समय किया गया जब भक्त मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा कर रहे थे।
इस घटना के बाद से सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें साझा की गईं जिनमें दिखाया गया कि कैसे भक्तों पर हमला किया जा रहा था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर हमले आम हैं। इस महीने की शुरुआत में, लाहौर से लगभग 590 किलोमीटर दूर रहीम यार खान जिले के भोंग शहर में भीड़ द्वारा एक हिंदू मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
गौरतलब है कि मानवाधिकार संगठन मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1,000 से अधिक ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। फिर उनका धर्म परिवर्तन किया जाता है और इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार उनकी शादी कर दी जाती है। ज्यादातर पीड़ितों की उम्र 12 से 25 साल के बीच है। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर सिंध प्रांत में हैं। भारत ने कई मौकों पर पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर-पीओके) में अल्पसंख्यकों और गैर-इस्लामिक धार्मिक संरचनाओं पर हमलों पर चिंता व्यक्त की है। पिछले साल, सिंध, पाकिस्तान में कई मंदिरों पर हमला किया गया था, जिसमें माता रानी भाटिया का मंदिर, गुरुद्वारा श्री का जन्मस्थान और खैबर पख्तूनख्वा में कराक का हिंदू मंदिर शामिल था। पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हैं।