अफगानिस्तान: तालिबान की भारत को धमकी, अफगान में भेजी सेना तो नहीं होगा ‘अच्छा’
By Loktej
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दूतावासों और राजनायकों को तालिबान से कोई खतरा नहीं
अफगानिस्तान में धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रहा तालिबान अब भारत को धमका रहा है। एक तरफ उन्होंने अफगानिस्तान को भारत की मदद की तारीफ की तो वहीं दूसरी तरफ इस्लामिक कट्टरपंथी गुट ने भारत को चेतावनी दी कि अगर भारतीय सेना वहां जाती है तो अच्छा नहीं होगा। तालिबान के एक प्रवक्ता ने लगभग 20 वर्षों के युद्ध के बाद अपने सैनिकों को वापस बुला लेने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका का सांकेतिक रूप से जिक्र करते हुए "अन्य देशों" की स्थिति से सीखने की सलाह दी।
दूसरी ओर, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अफगानिस्तान में ताकत के बल पर आधारित सरकार को मान्यता नहीं दी जाएगी। भारत के अलावा, जर्मनी, कतर, तुर्की और कई अन्य देशों ने अफगानिस्तान में हिंसा और हमलों को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया है।
जानकारी के अनुसार, तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाही ने एक साक्षात्कार में एएनआई को बताया कि यदि भारत सेना के साथ अफगानिस्तान आए और वहां मौजूद रहे तो यह उनके लिए "अच्छा" नहीं होगा । शाहीन ने कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में सेना और अन्य देशों की मौजूदगी के परिणाम देखे हैं, इसलिए उनके लिए यह एक खुली किताब की तरह है। भारत द्वारा हुई मदद के बारे में शाहीन ने कहा, "हम बांधों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं और अन्य विकास, पुनर्निर्माण और लोगों की आर्थिक समृद्धि पर अफगानिस्तान के लोगों के लिए किए गए कार्यों की सराहना करते हैं।
वहीं शाहीन का कहना है कि तालिबान से दूतावासों और राजनायकों को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम किसी दूतावास या राजनायक को निशाना नहीं बना रहे हैं। यह हम अपने बयानों में कई बार कह चुके हैं। यह हमारी प्रतिबद्धता है।
कुछ दिन पहले तालिबान के एक प्रवक्ता ने भी निशान साहिब को पख्तिया के एक गुरुद्वारे से हटाने के आरोप से इनकार किया था। शाहीन का कहना है कि सिख समुदाय ने झंडा हटाया था। उन्होंने कहा कि जब तालिबान सुरक्षा अधिकारी पहुंचे तो लोगों ने कहा कि अगर किसी ने उन्हें देखा तो उन्हें परेशान किया जाएगा। शाहीन का कहना है कि तालिबान के समझाने के बाद झंडा लौटा दिया गया। शाही ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों से संबंधों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि यह जमीन वास्तविकता पर आधारित नहीं है बल्कि हमारे बारे में राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित विशिष्ट नीतियों पर आधारित है। शाहीन ने दोहराया कि अफगानिस्तान अपने पड़ोसियों सहित किसी भी देश को अपनी धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने की नीति पर चल रहा है।
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