वैक्सीन फ्यूज़न; स्टडी बता रही - एस्ट्राजेन्का के पहले डोज के बाद फाइजर का दूसरा डोज असरदार!
By Loktej
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संशोधन में दोनों टीके हुये असरदार साबित, 96 प्रतिशत लोगों में बनी पहले डोज़ के बाद एंटीबोडीज़
कोरोना वायरस के विरुद्ध वैक्सीन को लेकर स्पेन में हुये एक अभ्यास में चौकाने वाले तारण सामने आए है। जिसमें मालूम चला है की 18 से 59 साल के 670 लोगों पर हुये एक सर्वे के अनुसार यदि लोगों को एस्ट्रेजेनेका का पहला डोज़ देने के बाद फाइजर का दूसरा डोज़ दिया जाये तो वह और भी ज्यादा सुरक्षित और असरकारक साबित होता है।
स्पेन में हुये कोम्बि वेक्स स्टडी में पता चला है की जिन लोगों को एस्ट्रेजेनेका के बदले दूसरे डोज़ के तौर पर फाइजर का टीका दिया गया था, उनमें एंटीबोडीज़ का प्रमाण 30 से 40 प्रतिशत अधिक था। फाइजर का टीका लेने के बाद शरीर में एंटीबोडीज़ की मौजूदगी भी एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन के मुक़ाबले दुगने से भी अधिक देखने को मिली।
संशोधन में शामिल डॉक्टर मेग्डाले केम्पिन्स ने बताया कि संशोधन के दौरान मात्र 1.7 प्रतिशत लोगों में साइड इफ़ेक्ट्स देखने मिला। बता दे कि एस्ट्रेजेनेका के टीके के बाद शरीर में खून के जाम जाने कि बात सामने आई थी। जिसके कारण 60 साल से अधिक लोगों के लिए इस टीके का विकल्प ढूँढने कि आवश्यकता हुई थी।
एक अन्य संशोधन के अनुसार, कोविड-19 का सिंगल डोज़ भी शरीर में एंटीबोडीज़ को पैदा करने के लिए काफी सहायक साबित होता है। इंग्लैंड के वेल्स में 8517 लोगों पर हुये एक अभ्यास में पता चला जय कि फाइजर का पहला टीका लेने वाले 90 प्रतिशत लोगों में एंटीबोडीज़ विकसित हुई थी। इसके अलावा एस्ट्रेजेनेका का टीका लेने वाले 96.42 प्रतिशत लोगों में एंटीबोडीज़ बनी थी। फाइजर का टीका लगाने वाले लोगों में पहले टीके के 28 से 34 दिन के बाद एंटीबोडीज़ बनना शुरू हुआ था, जबकि दूसरा डोज़ लेने वाले 99.08 प्रतिशत लोगों में 7 से 14 दिनों में ही एंटीबोडीज़ विकसित हो गई थी।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के संशोधकों ने बताया कि दोनों वैक्सीन एंटीबोडीज़ बनाने में सहायक साबित होते है। अब तक 8517 लोगों ने दिये 13,232 एंटीबोडी सैंपल का मूल्यांकन किया गया था। जिसमें पाया गया कि जिन लोगों ने फाइजर का टीका लगाया था, उनमें एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन लगवाने वाले लोगों से तेजी में एंटीबॉडी पैदा हुये थे।
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