जानें दुनिया में अभी कितने वायरस है मौजूद, आंकड़े देखकर चौंक जाओंगे

जानें दुनिया में अभी कितने वायरस है मौजूद, आंकड़े देखकर चौंक जाओंगे

साल 2050 तक एक करोड़ लोगों की हो सकती है मौत

पिछले काफी समय से भारत सहित विश्व भर में कहर मचाकर रखा है। कोरोना के कारण होने वाले मौत की संख्या भी लगातार बढ़ते जा रही है। हालांकि पिछले कई दिनों से भारत में संक्रमण काफी कम हुआ है। पिछले डेढ़ साल से दुनिया भर के लोग कोरोना के कारण परेशान हो चुके है। मात्र एक वायरस ने दुनिया भर के स्वास्थ्य प्रणाली को हिलाकर रख दिया है। ऐसे में आज जो जानकारी हम आपको देने जा रहे है उसे सुनकर आप हैरान रह जाओंगे। एक रिपोर्ट में किए गए दावे के अनुसार, यदि समय रहते स्वास्थय सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया तो यह चीज लोगों के लिए काफी नुकसान कारक हो सकती है। 
प्रतिकात्मक तस्वीर

एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि उचित समय पर स्वास्थय सेवाओं पर उचित दृष्टिकोण ना अपनाया गया तो आने वाले समय में जेनेटिक बीमारियाँ जैसी की जानवरों में से मनुष्य में फैलने वाली बीमारियाँ बढ़ सकती है। यदि उचित कदम ना उठाए जाये तो साल 2050 तक इस तरह की बीमारियों से हर साल एक करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। यह संख्या कैंसर और रोड एक्सीडेंट से होने वाले मौत की संख्या से भी अधिक है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 सालों में जेनेटिक बीमारियों का प्रकोप बढ चुका है। साल 2000 से हर तीसरे साल एक गंभीर बीमारी उत्पन्न हो रही है। जिसमें जानवरों में से इंसानों में पहुँचने वाले वायरस, पेथोजन और बेकटेरिया जिम्मेदार है। 
इन सभी बीमारियों में जापानी इन्फेसेलाइटिस, बर्डफलु, निपाह, सार्स, मर्स, जिका इत्यादि मुख्य है। रिपोर्ट के अनुसार इस समय लगभग 8.5 लाख वायरस और पेथोजन सक्रिय है। जिसमें से 20 हजार तो अलग-अलग तरह के कोरोना वायरस है। इन वायरस में से कई वायरस जानवरों द्वारा इंसानों में आ सकते है। हालांकि इसका जोखिम पहले से और भी ज्यादा बढ़ चुका है। जिसका कारण है जलवायु का परिवर्तन, बिगड़ते हुये पर्यावरण के अलावा जानवरों में इस्तेमाल हो रहे एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक इस्तेमाल से एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टन्स उत्पन्न हो रहा है। 
संशोधन में कहा गया है की इस जोखिम से निपटने के लिए एक स्वास्थय दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा। जिसमें मनुष्य के साथ-साथ जानवरों के स्वास्थ्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी पड़ेगी।