इस देश के डॉक्टर्स ने किया दावा, कोरोना वायरस को खत्म कर सकती है यह दवा

इस देश के डॉक्टर्स ने किया दावा, कोरोना वायरस को खत्म कर सकती है यह दवा

अब तक मात्र चूहों पर हुआ है सफल परीक्षण, RNA को मोड़ीफ़ाई कर बनाया गया है इंजेक्शन

पिछले कई महीनों से कोरोना वाइरस कि दूसरी लहर से लड़ रहे लोगों के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चर्स ने एक ऐसा एंटी वायरल ड्रग तैयार किया है, जो कि चूहों के फेफड़ों में से 99.9 प्रतिशत कोरोना पार्टिकल्स को खत्म करने में सफल रहे है। हालांकि इस ड्रग को बाजार में आने में समय लग सकता है। 
ऑस्ट्रेलिया कि क्वींसलेंड यूनिवर्सिटी के मेंजिस हेल्थ इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई इस ट्रीटमेंट को नेक्स्ट जनरेशन ट्रीटमेंट माना जा रहा है। यह मेडिकल ट्रीटमेंट एक मेडिकल तकनीक से काम करती है। जिसका नाम जिन साईलेंसिग है। साल 1990 में ऑस्ट्रेलिया में इस तकनीक का आविष्कार किया गया था। इस ट्रीटमेंट को इंजेक्शन की मदद से दिया जाता है। जिन साईलेंसिग की मदद से वायरस पर अटैक करने के लिए RNA का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके पहले फाइजर और मोर्डना वैक्सीन में भी RNA को मोड़ीफ़ाई किया गया था, जिन वैक्सीन में 95 प्रतिशत तक बीमारी को ब्लॉक करने की क्षमता है। 
प्रतिकात्मक तस्वीर

यह नई थेरापी उन लोगों के लिए तैयार की गई है, जो कोरोना की वजह से गंभीर रीत से बीमार है और जिन पर वैक्सीन पर बेअसर रह चुकी है। यूनिवर्सिटी के लीड रिसर्चर्स प्रोफेसर निगेल मेकमिलन ने कहा की इस ट्रीटमेंट की मदद से वायरस के नए स्ट्रेन को रोकने में सहायता प्राप्त हो सकेगी। इसके अलावा कोरोना वायरस की वजह से होने वाली मौतों में भी कमी देखने को मिल सकती है। प्रोफेसर का कहना है की इस ट्रीटमेंट में किसी भी कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति के फेफड़ों में जाकर वायरस को खत्म करने की क्षमता है। 
हालांकि अब तक यह ट्रीटमेंट अब तक चूहों पर ही सफल हो पाई है। पर अभी तक यह कंफ़र्म नहीं हो पाया है कि यह ट्रीटमेंट मानवों पर प्रभावशाली है या नहीं। इसके अलावा मानवों पर इस ट्रीटमेंट कितनी सुरक्षित है यह भी पता करना बाकी है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स और वैज्ञानिक पिछले साल से ही इस ट्रीटमेंट पर काम कर रहे है।