कोरोना पर जीत हासिल कर चुके लोगों के लिए वैक्सीन की एक ही डोज़ काफी - रिसर्च

कोरोना पर जीत हासिल कर चुके लोगों के लिए वैक्सीन की एक ही डोज़ काफी - रिसर्च

कोरोना को हारा चुके लोगों में पहले डोज़ के बाद हजार गुना अधिक दिखे इम्यून सेल्स

विश्व भर में कोरोना के ऊपर कई तरह के संशोधन किए जा रहे है। एक ऐसे ही संशोधन में जो बात सामने आई है, उसके बाद विश्वभार के देशों में वैक्सीनेशन की नीति बदल सकती है। पश्चिमी देशों में की गई एक स्टडी में यह दावा किया गया है कि जिस किसी ने भी कोरोना वायरस से जीत हासिल की है यानी के इंफेक्शन में से रिकवर हो चुका है, उनके लिए वैक्सीन का एक ही डोज़ काफी है। यदि यह बात सच होती है तो एक बड़ी बात होगी क्योंकि इसके कारण कई देशों की वैक्सीनेशन नीति बदल सकती है। जिसमें भारत सहित अन्य कई देशों का फायदा हो सकता है, जो फिलहाल वैक्सीन के डोज़ की कमी का सामना कर रहे हैं।
पूरी दुनिया में फिलहाल वैक्सीन के डोज़ की कमी है। वही वायरस के खिलाफ शरीर के लड़ाई का एक खास गुण वैज्ञानिकों की नजर में आया है। जब मनुष्य का शरीर किसी भी वायरस के साथ लड़ने में सफल होता है, तब उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। यह एंटीबॉडी दो प्रकार की होती है, एक T  किलर सेल्स जो वायरस का नाश करती है और दूसरे B सेल, जिसका काम वायरस को याद रखना होता है। ऐसे में यह पता लगाया गया की कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में कितने महीने बाद यह एंटीबोडी बनती है यह पता लगाया गया। जिसके बाद पिछले हफ्ते अमेरिका की साइंस इम्यूनोलोजी में छपी एक स्टडी के अनुसार अमेरिका में कोरोना को हरा चुके लोगों में m-RNA वैक्सीन के पहले डोज़ बाद एंटीबॉडी रिस्पांस काफी अच्छा देखने मिला। हालांकि दूसरे डोज़ के बाद यह इम्यून रिस्पांस उतना अच्छा नहीं था।
इटली, इजरायल और अन्य कई देशों में इस तरह की स्टडी की जा रही है। संशोधको का कहना है कि वायरस को याद रख कर उनके सामने लड़ाई करने वाले इम्यून सेल्स की संख्या पहले डोज़ के बाद अधिक देखने मिली। न्यूयोर्क यूनिवर्सिटी में की गई स्टडी के अनुसार अधिकतर लोग जिन्होंने 8 से 9 महीने पहले कोरोना को हराया था। उनमें वैक्सीन के पहले डोज़ के बाद हजार गुना एंटीबोडी में इजाफा देखने मिला। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी से फ्रांस, इटली और जर्मनी संक्रमित हुये लोगों की जगह डॉ की जगह मात्र एक ही डोज़ देने की नीति बना रहे है। हालांकि भारत में इसके लिए अभी पूरी तरह से संशोधन करने की जरूरत है। हालांकि यदि यह संभाव होता है तो अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाया जा सकेगा।