बच्चों को चुप कराने क्या आप भी उन्हें मोबाईल तो नहीं थमा देते!?
By Loktej
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गेजेट्स के चलते बालकों में बढ़ती है गुस्सा करने की वृत्ति
यदि आप भी अपने बालक के रोने पर उन्हें शांत करने के लिए उन्हें स्मार्टफोन दे देते है तो यह खबर आपके लिए है। कुछ अमेरिकी विज्ञानियों ने किए सर्वे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है।
गेजेट्स लेने पर करते है अधिक गुस्सा
संशोधनकर्ताओं का कहना है कि बच्चों को फोन दे देने से उनका स्वभाव गुस्सैल हो जाता है। दो से तीन साल के लगातार कार्टून देखने वाले कुछ बालकों पर संशोधन किया गया। इसमें उनके माता-पिता से वह टीवी, वीडियो गेम्स, टेबलेट्स और स्मार्टफोन का कितना इस्तेमाल करते है, इसकी जानकारी ली गई थी। जिसके आधार पर संशोधकों ने तारण निकाला कि बालकों को शांत करने के लिए जब उन्हें गेजेट्स दे दिये जाते है तो उनसे वह गेजेट्स वापिस लेने पर वह अधिक गुस्सा करते है।
जानें क्या कहना है विशेषज्ञ का कहना
संशोधनकर्ताओं का कहना है कि लंबे समय तक यदि ऐसी स्थिति रही तो परिस्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है। संशोधनकर्ताओं का कहना है कि यदि बच्चों को गेजेट्स से दूर रखे तो वह पब्लिक प्लेस पर गुस्सैल वर्तन नहीं करेगा। ब्रिधम यंग के संशोधनकर्ता साराह कोएन का कहना है कि बच्चों की भावनाओं को काबू में रखने के लिए उन्हें गेजेट्स नहीं देने चाहिए।
रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ की गाइडलाइन के अनुसार, 18 महीने से छोटी उम्र के बच्चों को तो गेजेट्स देने ही नहीं चाहिए। दो से पाँच साल के बच्चों को दिन भर के लिए एक घंटे के लिए गेजेट्स देना पर्याप्त है। इसके अलावा वह विभिन्न गेजेट्स पर क्या देखते है उस पर भी ध्यान देना चाहिए। खाने के समय और यात्रा के समय भी उन्हें गेजेट्स का इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए।
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