क्षमा पूजा के लिए 25 भारतीय पुजारी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे

क्षमा पूजा के लिए 25 भारतीय पुजारी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे

अगर मंदिर में कोई बदलाव करने, मूर्तियों को बदलने या कुछ कारणों से नियमित पूजा में बाधा आती है, तब क्षाम पूजा की जाती है।

काठमांडू, 23 फरवरी (आईएएनएस)| दक्षिण भारत के विभिन्न मंदिरों के कम से कम 25 विशेष पुजारी पशुपतिनाथ मंदिर में क्षमा पूजा करने के लिए काठमांडू पहुंचे। अधिकारियों ने चांदी की मौजूदा को बदलने का काम शुरू कर दिया है। जलधारी (जलहारी) पर सोने की परत चढ़ाई जा रही है। हिमालयन टाइम्स ने बताया कि अगर मंदिर में कोई बदलाव करने, मूर्तियों को बदलने या कुछ कारणों से नियमित पूजा में बाधा आती है, तब क्षमा पूजा की जाती है। पशुपति एरिया डेवलपमेंट ट्रस्ट (पीएडीटी) ने क्षमा पूजा अनुष्ठान के लिए 96 नेपाली पुजारियों सहित कुल 121 पुजारियों को आमंत्रित किया है।

राजा राणा बहादुर शाह ने 1777 से 1799 तक अपने शासन के दौरान यहां चांदी की जलहरी रखवाई थी। पीएडीटी के सदस्य सचिव प्रदीप ढकाल ने कहा, "हमने सोने की परत चढ़ाने का काम शुरू कर दिया है, और इसे एक सप्ताह के भीतर मंदिर में रखा जाएगा।" उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा जलहारी को हटाए बिना नई जलहरी रखी जाएगी। ढकाल ने आगे कहा कि जलहारी के लिए 108 किलोग्राम सोना का उपयोग किया गया और नई जलहारी पशुपति क्षेत्र के अंदर नेपाली सेना की कड़ी सुरक्षा के बीच रखी जाएगी।

जलहारी बनाने के लिए 10 लोगों को तैनात किया गया है, और उन्हें सुरक्षा कारणों से काम पूरा होने तक बाहर नहीं निकलने का निर्देश दिया गया है। एक निगरानी समिति इस कार्य की निरंतर निगरानी कर रही है, जिसमें धरोहर और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल हैं। जहां काम किया जा रहा है, वहां का पूरा क्षेत्र सीसीटीवी की निगरानी में है।

प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस काम के लिए 30 करोड़ रुपये की पेशकश की थी और अतिरिक्त 20 करोड़ रुपये का प्रबंध पीएडीटी ने किया है। पीएडीटी ने पशुपति मंदिर की छत और मंदिर के सामने बासा में सोने का काम शुरू कर दिया है। इस उद्देश्य के लिए, पीएडीटी ने 30 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किए हैं। ढकाल ने बताया कि शिवरात्रि उत्सव से पहले मंदिर और बसहा पर सोने की परत चढ़ाई जाएगी।
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