The dogs will be trained to detect tiger skin & bones during the specialized training course. These dogs are being trained by us in collaboration with WWF-India (World Wide Fund for Nature India): IS Duhan, IG, Basic Training Center of Indo-Tibetan Border Police Force (BTC-ITBP) pic.twitter.com/CEMnQWTHH3
— ANI (@ANI) September 28, 2022
मध्य प्रदेश : नामीबिया से लाये गये चीतों की सुरक्षा में तैनात होंगे प्रशिक्षित कुत्ते, सेना दे रही हैं प्रशिक्षण
By Loktej
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पांच साल के जर्मन शेफर्ड को दी जा रही है ट्रेनिंग, परिक्षण के बाद अन्य कुत्तों के स्क्वाड में शामिल होगा
नामीबिया से भारत लाये गये और प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क के छोड़े गये चीतों को शिकारियों से बचने में मदद करने के लिए कुत्तों को पेशेवर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए पांच साल के जर्मन शेफर्ड को ट्रेनिंग दी जा रही है। इलु नाम के जर्मन शेफर्ड को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। इलू की ट्रेनिंग नेशनल डॉग ट्रेनिंग सेंटर में चल रही है। प्रशिक्षण के बाद इलू समेत कई कुत्तों को मध्य प्रदेश के 'सुपर स्निफर स्क्वॉड' में शामिल किया जाएगा।
प्रशिक्षण से क्या लाभ होगा?
मिली जानकारी के मुताबिक इलू समेत कुल 6 कुत्तों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इन कुत्तों को अप्रैल से जंगलों में तैनात किया जाएगा। इलू समेत सभी कुत्तों को अप्रैल तक प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद ये कुत्ते आज्ञाकारिता, सूंघने और ट्रैकिंग कौशल में कौशल हासिल करेंगे। प्रशिक्षण के दौरान कुत्तों को बाघ और चीते की गतिविधियों, हड्डियों, हाथी के दांत और शरीर के अन्य अंगों, भालू पित्त, लाल चंदन और कई अन्य वन्यजीव उत्पादकों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे जंगल में किसी भी अवैध गतिविधि का पता लगाने में मददगार साबित हो सकें। ।
इससे पहले हाथियों को तैनात किया जाता था
इससे पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के दो हाथियों, 41 वर्षीय सिद्धनाथ और 10 वर्षीय लक्ष्मी को वन विभाग ने पिछले महीने से चीतों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण देकर पार्क में तैनात किया गया था। ये दोनों हाथी चीते की सतर्कता से किसी भी शिकारी जानवर को अपने आसपास घूमने से रोकेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के इन दो हाथियों ने किसी भी जंगली जानवर को काबू में करने, गश्त करने और बचाव कार्य में महारत हासिल कर ली है। लक्ष्मी और सिद्धनाथ के इस कौशल को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक पखवाड़े पहले कुनो लाया गया था। यहां उन्हें चीतों को क्वारंटाइन करने के लिए बनाए गए एक विशेष बाड़े के पास रखा गया है।
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