मध्यप्रदेश : फिर एक बार शर्मसार हुई मानवता, महिला की मौत पर अस्पातल से नहीं मिली एम्बुलेंस सेवा, बाइक पर 80 किलोमीटर दूर माँ के शव को लेकर आये बेटे

मध्यप्रदेश : फिर एक बार शर्मसार हुई मानवता, महिला की मौत पर अस्पातल से नहीं मिली एम्बुलेंस सेवा, बाइक पर 80 किलोमीटर दूर माँ के शव को लेकर आये बेटे

इसी के साथ मध्य प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे खोखले साबित हुए, अस्पताल ने नहीं दी एम्बुलेंस, प्राइवेट वाहन ने मांगे 5 हजार

भले ही हम आज कितने ही अद्यतन और आधुनिक हो गये है पर कभी कभी कुछ मामले ऐसे सामने आते है जो हमें सोचने पर मजबूर कर देते है कि क्या हम सच में आधुनिक है! मानवता को शर्मसार करने वाली इन घटनाओं में अब एक और घटना का नाम जुड़ गया है। आम आदमी की समस्याओं को इस तरह नजरअंदाज कर रहे मध्य प्रदेश के एक अस्पताल प्रशासन का मन किसी की मौत पर भी नहीं पसीजा। इसी के साथ मध्य प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे खोखले साबित हुए हैं। मध्यप्रदेश का एक अस्पताल प्रशासन एक शव के लिए एम्बुलेंस भी नहीं दे सका। 
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के शहडोल में एक अस्पताल ने एक परिवार में एक महिला के शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस प्रदान नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप बेटें मां के शव को 80 किमी तक बाइक पर लाने को मजबूर थे। अनूपपुर के गुडारू गांव निवासी जय मंत्री यादव नाम की महिला को सीने में तकलीफ के चलते जिला अस्पताल शहडोल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। जहां मेडिकल कॉलेज रेफर होने से हालत खराब थी। देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बेटों ने मां के शव को ले जाने के लिए अस्पताल से एंबुलेंस की मांग की लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं दी गई इसलिए भारी मन के बेटों ने मां के शव को बाइक से बांधकर 80 किमी दूर अपने गांव ले गए।
मृत महिला के पुत्रों का कहना है कि अस्पताल में इलाज नहीं कराया या मौत के बाद शव को ले जाने के लिए वाहन की कोई व्यवस्था नहीं की गई। प्राइवेट ड्राइवर ने 5 हजार रुपये मांगे, लेकिन परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे। आखिरकार बेटों ने मां के पार्थिव शरीर को बाइक से घर ले जाना मुनासिब समझा। मृतक महिला के पुत्रों का आरोप है कि वे अनूपपुर जिले के शहडोल मेडिकल कॉलेज में अपनी मां का इलाज कराने आए थे, लेकिन वहां समुचित इलाज नहीं होने के कारण उनकी मां की मौत हो गई। इसके बाद उन्हें एक बॉडी व्हीकल चाहिए था, जिसे मांग करने पर भी अस्पताल की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया। इसके बाद बेटों ने 100 रुपये का लकड़ी का पटिया खरीदा, उस पर शव बांधा और अनूपपुर जिले के एक गांव गुडारू में अपने घर पहुंचने के लिए बाइक से 80 किलोमीटर का सफर तय किया।