पत्नी की हत्या के जुर्म में पति को कानून अनुसार सजा न सुनाने पर न्यायाधीश की कुर्सी गई!
By Loktej
On
नरसिंहपुर में पदस्थ एडीजे लीना दीक्षित पर नियम विरुद्ध आदेश पारित करने का आरोप, समिति ने दिया एडीजे लीना की बर्खास्ती का आदेश, सुप्रीमकोर्ट ने लगाईं फैसले पर मुहर
भोपाल के एक दहेज हत्या के मामले में दोषी को नाम मात्र की सजा देने के कारण प्रशासकीय समिति ने एडिशनल सेशंस जज लीना दीक्षित पद से हटाने की सिफारिश की थी जिसे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फुल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद जज आगे के अदालत में उसके खिलाफ गयी पर हाई कोर्ट ने उस रिट पिटिशन को खारिज कर दिया है। इसी के साथ अब लीना के जज पद पर रह पाने की सारी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। ।
आपको बता दें कि एडीजे कोर्ट की जज लीना दीक्षित की अदालत में पति द्वारा पत्नी को जिंदा जलाने का एक मामला सामने आया था। मरने से पहले पत्नी ने सारी घटना के बारे में अपना बयान दे दिया था। इससे मामले में कहने सुनने को कुछ रह नहं गया था। इस पर एडीजे लीना दीक्षित ने पति को दफा 302 के तहत हत्या का दोषी तो ठहराया, लेकिन उसे सिर्फ 5 वर्ष की जेल की सजा सुनाई। हालांकि, सीआरपीसी की इस धारा के के लिए मृत्यु दंड या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। हालांकि हंगामा होने पर लीना ने खुद ही अपने जजमेंट की समीक्षा करते हुए दफा 302 के बदले दफा 304ए के तहत दोषी बता दिया जिसमें ज्यादा से ज्यादा दो वर्षों की सजा होती है। जबकि दहेज हत्या का मामला दफा 304बी के तहत आता है और इसमें कम-से-कम सात साल की सजा का प्रावधान है जो अधिकतम उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है।
मामला सामने आने के बाद प्रशासकीय समिति ने इसे जज की पद की गरिमा के खिलाफ माना और इसीलिए उन्हें हटाने की सिफारिश की। हालांकि समिति के सामने लीना ने अपने बचाव में दलील दी कि यह उनकी पहली गलती है और बारबार कहा कि चूंकि यह उनकी पहली और एकमात्र गलती है, इसलिए उन्हें पद से हटाना ठीक नहीं होगा। लीना की इन दलीलों पर ध्यान न देते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यूयू ललित, जस्टिस एसआर भट्ट व जस्टिस एस धूलिया की बेंच ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व आदेश पर मुहर लगाते हुए लीना की याचिका निरस्त कर दी। इसी के साथ लीना की वापस न्यायिक सेवा में लौटने की आशा निराशा में तब्दील हो गई।