दुष्कर्म के आरोपी के समर्थकों ने जानें ऐसा क्या किया जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी जमानत!

जमानत पर जेल से छूटने के बाद आरोपी छात्र नेता ने 'भैय्या इज बैक' लिखा पोस्टर लगवा दिया

मध्यप्रदेश में एक अनोखा मामला सामने आया है जहाँ दुष्कर्म के आरोप में जेल गये एक आरोपी ने जमानत पर छूटने के बाद कुछ ऐसा किया जो उसे भारी पड़ गया। हुआ ऐसा कि जमानत पर जेल से छूटने के बाद आरोपी छात्र नेता ने 'भैय्या इज बैक' लिखा पोस्टर लगवा दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को आधार मानते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से मिली उसकी जमानत को रद्द कर दिया। इस पोस्टर को सन्दर्भ बनाते हुए चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने आदेश में कहा कि पोस्टर की भाषा, उस पर बने हुए इमोजी ऐसा दिखा रहे है कि आरोपी ने कोई बड़ा काम किया और ये समाज में एक गलत सन्देश भेजता है। आरोपी की ये बात शिकायतकर्ता के मन में डर पैदा कर सकती है कि उसे निष्पक्ष ट्रायल का मौका नहीं मिलेगा।
आपको बता दें कि इस मामले में शिकायतकर्ता लड़की ने छात्र नेता पर शादी का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा एक समारोह में उसके भले ही सिर पर सिंदूर लगाया लेकिन सार्वजनिक तौर पर इस संबंध को मान्यता देने से इनकार कर दिया। यही नहीं, इस बीच गर्भवती होने पर उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया गया लेकिन बाद में शादी की बात से वो साफ मुकर गया। लड़की ने रेप का मामला दर्ज करा दिया और नवंबर 2021 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उसे जमानत भी दे दी। इसके बाद पीड़िता ने इस मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया । याचिका में आरोपी की उन तस्वीरों को भी दिखाया गया जो जमानत पर रिहा होने के बाद सोशल मीडिया पर डाली गई थी। इन पोस्टरों में उसे समाज के प्रभावशाली लोगों के साथ दिखाया गया था। इसके साथ ही इन पोस्टर पर लिखा हुआ था- भैय्या इज बैक, बैक टू भैया, वेलकम टू रोल जानेमन।
आरोपी पक्ष के वकील ने दलील दी कि वो उस समुदाय से ताल्लुक रखता है, जो मां नर्मदा जयन्ती मनाते हैं और ये पोस्टर उसी से जुड़ा है। इन पोस्टर का जमानत पर रिहाई से कोई सम्बन्ध नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ये बात मान भी ली जाए तो भी ये दर्शाता है कि आरोपी और उसके परिवार का अच्छा खासा रसूख है। वो सबूतों को प्रभावित कर सकता है। बहरहाल कोर्ट ने जमानत रद्द करने का आदेश देते हुए 1 हफ्ते में सरेंडर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये पोस्टर आरोपी और उसके समर्थकों के जश्न के मूड को दर्शाते हैं क्योंकि जिस अपराध में 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है, वहां महज दो महीने की कस्टडी के बाद वो बाहर निकल आया। जाहिर है कि इन सब बेशर्म हरकतों ने शिकायतकर्ता के मन में ये डर पैदा कर दिया है कि अगर वो जमानत पर बाहर रहता है, तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है और उसे स्वतंत्र, निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिलेगा।