वाराणसी : गुजरात के कच्छ की तर्ज पर गंगा किनारे बसेगी ‘टेंट सिटी’, जानिए क्या है योगी सरकार की नई योजना

नवरात्रि से शिवरात्रि तक काशी के ऐतिहासिक घाटों के ठीक सामने रेत पर बसेगी टेंट सिटी

अब से पर्यटक होटल के बजाए गंगा के किनारे रुक कर सुबह उठकर मां गंगा दर्शन के साथ घाट की सुंदर आभा को निहार सकेंगे
भारत दुनिया भर में अपनी अनोखी संस्कृति और आकर्षक पर्यटन स्थल के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के प्रमुख स्थानों में से काशी एक हैं। यहां के अल्हड़पन व गंगा किनारे बसे घाटों की जिंदगी, उनके जीवन का दर्शन व गंगा के एहसास के लिए यहां पूरे विश्व से लोग आते है। दुनिया का सबसे प्राचीन व जीवंत शहर काशी में अब एक अनोखा प्रयोग होने जा रहा है। गुजरात के कच्छ जैसे अब बनारस में भी टेंट सिटी बसाईं जा रही है। नवरात्रि से शिवरात्रि तक काशी के ऐतिहासिक घाटों के ठीक सामने रेत पर बसेगी टेंट सिटी। गंगा किनारे इस तम्बुओं के शहर से पर्यटक खूबसूरत अर्धचंद्राकार 84 घाटों का नजारा देख सकेंगे। टेंट सिटी में पर्यटकों के लिए खान-पान, पारंपरिक मनोरंजन, अध्यात्म व कॉरपोरेट वर्ल्ड के लिए सेमिनार व कांफ्रेंस करने की भी सुविधाएं होंगी। चांदनी रात में तो इसकी शोभा देखने लायक होगी। अब से पर्यटक होटल के बजाए गंगा के किनारे रुक कर सुबह उठकर मां गंगा दर्शन के साथ घाट की सुंदर आभा को निहार सकेंगे। ग़ुजरात के रन ऑफ कच्छ और जैसलमेर के सेंड ड्यून्स की तर्ज़ पर काशी की टेंट सिटी विकसित होगी। वाराणसी विकास प्राधिकरण इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट जारी कर चुकी है, जिसकी अंतिम तिथि 15 मई 2022 है।
आपको बता दें कि वाराणसी में पर्यटकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। ऐसे में योगी सरकार पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने के लिए गंगा किनारे टेंट सिटी बनाने का प्रस्ताव ला रही है। वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन की माने तो गंगा के उस पार अस्सी घाट के सामने रेत पर रामनगर के कटेसर क्षेत्र में 500 हेक्टेयर में तंबुओं का शहर बसाया जाएगा जिसे जरूरत के मुताबिक और बढ़ाया जा सकता है। इस तंबू के शहर में धर्म, अध्यात्म व संस्कृति का संगम होगा।साथ ही टेंट सिटी में हर वह सुविधा होगी जो किसी पर्यटन स्थल पर होती है। यहां ठेठ बनारसी खान पान के साथ पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आनंद खुली हवा में आप ले सकेंगे। इसके साथ ही यहाँ जेट स्की, बनाना बोट पैरासेलिंग ,कैमल और हॉर्स राइडिंग, फिशिंग  जैसे वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स की भी सुविधा उपलब्ध कराने की योजना है। ये टेंट सिटी एनएच -19 से महज 4 किलोमीटर ,रामनगर फोर्ट 1 किलोमीटर ,वाराणसी रेलवे स्टेशन 10 किमी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से 13 और वाराणसी एयरपोर्ट से 33 किलोमीटर की दूरी पर होगी।
ऐसा कह सकते है कि पर्यटक टेंट सिटी में रहकर निर्मल व अविरल गंगा की कलकल के बीच घर जैसा माहौल पाएंगे जहाँ योग, मेडिटेशन, लाइब्रेरी ,आर्ट गैलरी के लिए शांत जगह होगी। अब से जल्द ही देश भर के पर्यटकों के पैकेज टूर में भी इस टेंट सिटी को जोड़ा जा सकता है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को उनके मनपसंद भोजन उपलब्ध करायेंगे। साथ ही गंगा किनारे सुबह व शाम मां गंगा की आरती का अप्रतिम अनुभव देखने को मिलेगा। मोक्ष की नगरी काशी से प्राप्त दिव्य ज्ञान को पर्यटक मनरूपी रेत पर अपनी अनुभूति की आकृति भी उकेर पाएंगे। तम्बुओं का यह शहर पूरी दुनिया में मशहूर वाराणसी को एक और कारण देगा और लोग इससे आकर्षित होंगे जिससे यहाँ के उद्योगों को भी मदद मिलेगी जैसे यहं की वाराणसी साड़ी, बनारसी ब्रोकेड,लकड़ी के ख़िलौने, गुलाबी मीनाकारी स्टोन कार्विंग के साथ ही जीआई उत्पाद व वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट। धर्म की राजधानी काशी में मूलभूत सुविधाएं तेजी से विकसित हुई है। जल, थल व नभ से देश दुनिया से जुड़ने के कारण यहां व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़त रही है। 
आंकड़ों के मुताबिक जहाँ सीज़न में पर्यटकों की संख्या इतनी हो जाती है कि होटल में कमरे कम पड़ जाते है वहां ये योजना बहुत मददगार साबित होगी। सरकार चाहती है कि काशी आने वाला पर्यटक कम से कम 7 दिन यहां रुके। यहां के मंदिर जो धर्म और आध्यात्म से जोड़ते हैं, वहीं बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ जीवन के दर्शन को समझाता है। तो तम्बुओं के डेरे में उनको बनारस के सभी रसों की अनुभूति कराई जाएगी। पहले की सरकारों ने बनारस में पर्यटन उद्योग को लेकर कोई ठोस योज़ना नहीं बनाई थी। पहले कछुआ सेंचुरी के कारण गंगा पार रेती में किसी तरह के आयोजन पर एनजीटी का आदेश आड़े आ रहा था, लेकिन बीजेपी सरकार के प्रयास से कछुआ सेंचुरी शिफ़्ट होने के बाद इस समस्या का भी समाधान हो गया है और गंगा पार फैली रेती को पर्यटन का नया केंद्र बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।