#WATCH | The society to which violence is dear is now counting its last days. Non-violent and peace-loving people will stay: Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) chief Mohan Bhagwat in Maharashtra's Amravati (28.04) pic.twitter.com/66bQDMUmMG
— ANI (@ANI) April 29, 2022
अमरावती में बोले संघ प्रमुख मोहन भावगत, ‘सनातन धर्म को नाबूद करने की कोशिश करने वाले ही बरबाद हो गये!’
By Loktej
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एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्वी महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंसा से कोई भी समाज लाभान्वित नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हिंसा को तरजीह देने वाला समाज अब आखिरी दिन गिन रहा है। मोहन भागवत ने कहा, "हिंसा से कोई फायदा नहीं होता। हमें हमेशा अहिंसक और शांतिप्रिय होना चाहिए। इसके लिए सभी समुदायों को एक साथ लाने और मानवता की रक्षा करने की आवश्यकता है। हम सभी को इस काम को प्राथमिकता के आधार पर करने की जरूरत है।
मोहन भागवत एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्वी महाराष्ट्र के अमरावती पहुंचे। समारोह में अमरावती जिले और देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी समुदाय के सैकड़ों सदस्यों ने भाग लिया। केंद्रीय अध्यक्ष के बयान को देश के कई राज्यों में रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर हाल ही में हुई सांप्रदायिक झड़पों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने सभी समुदायों को एक साथ लाने और मानवता की रक्षा करने की वकालत की थी।
मोहन भागवत ने कहा कि सरकार हो या कोई और, यह समाज के दबाव में काम करती है। सामाजिक दबाव सरकार के लिए पेट्रोल की तरह है। भागवत ने सिंधी भाषा और संस्कृति के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए देश में एक सिंधी विश्वविद्यालय की स्थापना का आह्वान किया।
संघ अध्यक्ष ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है। संघ अध्यक्ष ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां दुनिया के हर प्रकार के व्यक्ति की कुरीतियों का अंत होता है। भारत में आने के बाद या तो इसमें सुधार होता है या अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सनातन धर्म को मिटाने के लिए 1000 वर्षों से लगातार प्रयास हो रहे थे। जिन्होंने यह कोशिश की उनका सफाया हो गया, लेकिन सनातन धर्म आज भी मौजूद है।