पहली कक्षा में बच्चे के दाखिल के लिए 6 वर्ष की आयु वाला निर्णय सही, केंद्रीय विद्यालय से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा

पहली कक्षा में बच्चे के दाखिल के लिए 6 वर्ष की आयु वाला निर्णय सही, केंद्रीय विद्यालय से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा

दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बढ़ाई गई है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के कक्षा एक में प्रवेश के लिए निश्चित उम्र वाले मामले पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को बरकरार रखा है। इसके साथ अब केंद्रीय विद्यालय के क्लास वन में एडमिशन के लिए अब न्यूनतम आयु सीमा छह साल ही रहेगी। केवीएस के साल 2022-23 के सत्र में पहली कक्षा में मात्र 6 साल के बच्चों को ही एडमिशन देने वाले फैसले को पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इससे पहले के नियम के अनुसार 5 साल के बच्चों को क्लास वन में दाखिला मिलता था।
आपको बता दें कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले से सहमति दिखाई है। केवीएस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बढ़ाई गई है। केवीएस ने इस तर्क का भी खंडन किया कि निर्णय शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करता है।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने यूकेजी की पांच वर्षीय छात्रा की एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया था। एकल न्यायाधीश ने छात्रा की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु पहले की तरह पांच वर्ष करने का अनुरोध किया गया था। साथ ही न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने 11 अप्रैल को केंद्रीय विद्यालय में आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए कक्षा एक में प्रवेश को लेकर न्यूनतम आयु छह साल के मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि अदालत ने कहा था कि अपीलकर्ता अगले साल कक्षा एक में प्रवेश के लिए केंद्रीय विद्यालय में आवेदन करने की हकदार होगी और इस साल, वह अन्य उन स्कूलों में दाखिल ले सकती है, जिन्होंने अभी तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू नहीं किया है। न्यायमूर्ति सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने अचानक आयु में बदलाव वाली बात पर सहमति नहीं दिखाई। पीठ ने कहा, ‘अगर बच्चा पांच साल का है और आयु सीमा को बढ़ाकर छह कर दिया गया है, तो इसमें अचानक क्या है? अगले साल मिलेगा मौका।’
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