जमीन जायदाद बेचकर करवाया इलाज पर कोरोना से जिंदगी की जंग हारा किसान

जमीन जायदाद बेचकर करवाया इलाज पर कोरोना से जिंदगी की जंग हारा किसान

50 एकड़ जमीन बेच कर आठ करोड़ का किया खर्च, महामारी के दौरान खुद की थी कई लोगों की सेवा

दुनिया भर में कोराेना हर किसी की परेशानी बना हुआ है। कई परिवार कोरोना के कारण आर्थिक, मानसिक या स्वास्थ्य के नजरिए से कंगाल हो चुके है। कई मामले ऐसे सामने आए, जिसमें परिवार द्वारा लाखों खर्च करने के बाद भी वह अपने परिजन की जान नही बचा पाए। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के रीवा से सामने आया है। जहां एक परिवार ने अपनी सारी जमीन जायदाद बेचकर भी अपने परिवार के सदस्य को नहीं बचा पाए।
विस्तृत जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश के रीवा जिले के किसान धरमजय सिंह आठ महीने पहले कोरोना संक्रमित हुए थे। संक्रमित होने के बाद उन्हें रीवा की संजय गांधी इंटरनेशनल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। हालांकि फेफड़ों में इन्फेक्शन बढ़ रहा था, जिसके चलते डॉक्टरों ने उन्हें चेन्नई की अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। 
आठ महीनों तक इलाज करवाने के बाद भी उनकी जान बचाई नही जा सकी। परिवार ने उनके इलाज के पीछे भी आठ करोड़ जितने का खर्च किया था। धरमजय सिंह की गणना राज्य के सबसे प्रतिष्ठित किसानों में होती थी। वह स्ट्रॉबेरी और गुलाब की खेती के लिए मशहूर थे। 
परिवार के सदस्यों के अनुसार, तबियत बिगड़ने के बाद पिछले साल 30 अप्रैल को उनका कोरोना टेस्ट किया गया, जो पॉजिटिव आया था। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां 18 दिन के इलाज के बाद उन्हें चेन्नई की अपोलो हॉस्पिटल ले जाया गया। चार दिन में ही उनका कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गया, पर फेफड़ों के बढ़ते संक्रमण के कारण उन्हें इलाज के लिए भर्ती रखा गया।
एक हफ्ते के पहले ही उनका ब्लड प्रेशर काफी गिर गया था। जिसके चलते उन्हें आईसीयू में रखा गया, जहां उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया। काफी बीमारियों के एक साथ आ जाने के चलते वह अब ठीक नही हो पा रहे थे और उनकी मृत्यु हो गई। बड़े भाई प्रदीप सिंह जो की पेशे से वकील है, उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने भाई को बचाने के सारे प्रयास किए। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने सबकी काफी मदद की थी। हालांकि इस दौरान वह खुद ही संक्रमित हो गए थे।