Varanasi | PM Narendra Modi will offer prayers at Shri Kashi Vishwanath temple at around 1300 hours and inaugurate the Kashi Vishwanath Corridor at around 1320 hours today pic.twitter.com/71KNBh4D9X
— ANI (@ANI) December 13, 2021
काशी विश्वनाथ के कॉरीडोर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया उद्घाटन
By Loktej
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कॉरीडोर में मंदिर चोक, मुमुक्षु भवन, तीन पेसेंजर सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपर्पज हॉल, सिटी म्युजियम, वाराणसी गेलेरी जैसी सुविधाएं दी गई है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का उद्घाटन होने जा रहा है। तकरीबन 5 लाख स्क्वेर फिट में बने काशी विश्वनाथ धाम में इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई संत और महंत हाजिर रहेगे। 12 ज्योतिर्लिंग और 51 सिद्धपीठों के पुजारियों की उपस्थिती में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कॉरीडोर का उद्घाटन किया जाएगा, इस पूरे कॉरीडोर में 125 छोटे-छोटे मंदिर बनाए गए है।
कॉरीडोर के उद्घाटन के कारण मंदिर आने वाले भक्तों को अब पतली गलियों और रास्तों से गुजरना नहीं पड़ेगा। इस कॉरीडोर के मार पर गंगा घाट सीधा ही देखा जा सकता है। कॉरीडोर की बनने की पूरी लागत 900 करोड़ रुपए है। इस भव्य कॉरीडोर में 23 छोटी-मोटी इमारतें बनाए गए है। कॉरीडोर को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें चार दरवाजे और प्रदक्षिणा मार्ग पर 22 आरस के शिलालेख बनाए गए है, जिसमें काशी धाम की महिमा बताई गई है।
इसके अलावा कॉरीडोर में मंदिर चोक, मुमुक्षु भवन, तीन पेसेंजर सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपर्पज हॉल, सिटी म्युजियम, वाराणसी गेलेरी जैसी सुविधाएं भी दी गई है। इस कॉरिडोर के बन जाने के बाद श्रद्धालु गंगा के किनारे से 50 फुट की सड़क पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम में महादेव के पसंदीदा पौधे रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, असोपाल लगाए जाएंगे। बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसाद तैयार किया जा रहा है, जिसे 8 लाख से ज्यादा परिवारों में बांटा जाएगा।
परियोजना की आधारशिला 8 मार्च, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी। एक अध्यादेश द्वारा, उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर के क्षेत्र को एक विशेष क्षेत्र के रूप में घोषित किया। कई आसपास की इमारतों का अधिग्रहण किया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार 1780 में महारानी अहल्या बाई होल्कर ने करवाया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना चढ़ाना शुरू किया।
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