बिहार के इस गाँव में हर एक के पास है अपनी पर्सनल नांव, साल के अधिकतर समय बना रहता है टापू

बिहार के इस गाँव में हर एक के पास है अपनी पर्सनल नांव, साल के अधिकतर समय बना रहता है टापू

बिहार के दरभंगा जिले के कुशेश्वर में एक ऐसा गाँव है जहां लगभग हर एक व्यक्ति के पास खुद की पर्सनल नांव है। कुशेश्वर के गौरा गाँव जिसे लोग नांव वाले गाँव के नाम से भी जानते है आम तौर पर अपने लिए बाइक और कार खरीदने के पहले नांव खरीदने की तैयारी करते है। गाँव में 6 से 9 महीने तक तो पानी ही भरा रहता है और पूरी तरह से एक टापू में बदल जाता है। 
यहाँ रहने वाले लोग नांव में बैठकर ही मुख्य मार्ग तक पहुँचते है। इसके बाद अपनी नांव आसपास पार्क कर वह काम पर चले जाते है। इसके अलावा गाँव की महिलाएं भी अपने घर और जानवरों के लिए खाने की व्यवस्था करने के लिए नांव का ही इस्तेमाल करती है। यही कारण है की गाँव में हर कोई नांव चलाना जानता है। गनव के ही एक स्थानीय मोहम्मद गुलशन आलम ने कहा की लगभग 9 महीने तक गाँव में पानी ही भरा रहता है। सभी काम नांव से ही करना पड़ता है। काम पर जाना हो या बच्चों को स्कूल भेजना हो, चाहे बीमार व्यक्ति को अस्पताल ही क्यों न पहुंचाना हो उसके लिए भी नांव का ही इस्तेमाल करना पड़ता है। 
सबसे बड़ी दिक्कत यह है की गाँव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाला एक रास्ता भी नहीं है। सालों से लोगों द्वारा एक पुल की मांग की जा रही है। पर अब तक उनकी मान को पूर्ण नहीं किया गया है। गाँव वालों का कहना है कि ऐसा भी नहीं है कि सरकार द्वारा नांव खरीदने के लिए कोई सहाय मिल रही हो। उन्हें अपने ही पैसों से 20 हजार रुपए खर्च कर नांव खरीदनी पड़ती है। इसके बाद ही वह सायकल या बाइक खरीदने की सोचते है। 
बता दे की इस गाँव में तकरीबन 200 से 250 घर है और गाँव की जनसंख्या 1000 से भी अधिक है। गाँव के लोग सड़क और पुल की लगातार मांग कर रहे है। अधिकारी, नेता और अन्य सभी के खिलाफ शिकायत भी की, पर लोग एक दूसरे के खिलाफ ज़िम्मेदारी थोप रहे है।

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