सखी - हिंदुस्तान जिंकने महिलाओं को प्रदान किए लघु एवं मध्यम उद्योगों के अवसर

राजस्थान के पाँच जिलो और उत्तराखंड के पंतनगर में ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान किए गए

सुरत. २९ अगस्त २०२१। लघु उद्योग दिवस प्रत्येक वर्ष ३० अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस सभी लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लघु उधमियों को प्रोत्साहन मिले और वे आगे आये व स्वरोजगार को बढ़ावा मिले। भारत जैसे देश के आर्थिक विकास में
छोटे उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो स्टार्टअप के रूप में पिछले पांच सालों में सामने आए है। लगभग ३६.१ मिलियन इकाइयों के साथ, यह बताया गया है कि विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में लगभग ६.११ प्रतिशत और सेवा गतिविधियों से सकल घरेलू उत्पाद का २४.६३ प्रतिशत योगदान करते हैं, जो की २०२५ तक बढ़ कर ५० प्रतिशत होने की
क्षमता हैं।
एमएसएमई उद्योग के कर्मचारी १२० मिलियन लोग हैं। राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर खरे उतरते हुए हिन्दुस्तान जिंक ने अपनी सूक्ष्म उद्यम पहल - सखी उत्पादन समिति के तहत राजस्थान के पांच जिलों - अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और उदयपुर और उत्तराखंड के पंतनगर में ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान किए हैं।
आत्मनिर्भर भारत को अपने मूल सिद्धांत के रूप में रखते हुए, हिंदुस्तान जिंक की सखी उत्पादन समिति, ग्रामीण महिला किसानों से उच्च गुणवत्ता, रसायन मुक्त उत्पाद प्राप्त कर ४ कृषि-व्यवसाय और २ सिलाई केन्द्र चलाती है, जो १३० से अधिक सखी महिलाओं को रोजगार देती हैं। ये कृषि और कपड़ा उत्पाद सम्पूर्ण भारत में बिकते हैं। सरकार की योजनाओ के साथ संरेखित होते हुए, सखी स्वयं सहायता समूह द्वारा महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करते हुए उनके विकास में होने वाले वित्तीय समावेश पर ध्यान देता है।सखी की मार्केटिंग संस्थाएं कटोरी और उपया ग्रामीण महिलाओं और अंतिम उपभोक्ता के बीच कड़ी का कार्य करती है। ये महिलाओं के समूह के साथ मिलकर काम करती हैं ।ताकि स्वतंत्र और टिकाऊ व्यवसायों में उनके विकास में सहायता मिल सके। 
हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ श्री अरुण मिश्रा ने एक कार्यक्रम में कहा, वोकल फॉर लोकल होने का हमारा मूल उद्देश्य हमारे स्थानीय समुदायों में छोटे उद्योग के विकास को बढ़ावा देता है। हम आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अपने स्थानीय समुदायों को उद्यमशीलता और कौशल विकास की शक्ति के साथ सशक्त बनाने में विश्वास करते हैं। हमारी सखियाँ हमारे स्थानीय समुदायों में सामाजिक परिवर्तन की उत्प्रेरक हैं और हमारी सखी उत्पादन समिति के सामूहिक सूक्ष्म उद्यमों के माध्यम से हमने उन्हें कुशल बनाया है। इस प्रकार उन्हें एक समानतावादी समाज में महिलाओं का सामाजिक और वित्तीय समावेश कर मुख्यधारा में लाने के लिए एक मंच प्रदान
किया है।
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