कोरोना हुआ तो पता चला सालों पहले निगली कलम की निब फेफड़े में फंसी पड़ी है!
By Loktej
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18 साल पहले गलती से निगल ली थी पेन की निब, कोरोना संक्रमित होने पर सिटी स्कैन में पता चली हकीकत
कई बार बचपन की गलतियाँ व्यक्ति को काफी तकलीफ देती है। बचपन में हुई गलतियों के कारण कई बार व्यक्ति को अपनी पुख्तावस्था में तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हुआ अलुवा के रहने वाले सूरज के साथ। अलुवा के रहने वाले सूरज जब 14 साल के थे, तब गलती से उन्होंने पेन की निब निगल ली थी, जो की उनके फेफड़ों में फंस गई थी। जिसे डॉक्टरों ने अब जाकर निकाला था। फेफड़ों में फांसी निब के कारण वह सालों तक अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित रहे।
न्यू इंडियन एक्स्प्रेस में छपी खबर के अनुसार, साल 2003 में जब सूरज नौवीं कक्षा में थे तब सिटी बजाते समय गलती से निब निगल ली थी। जिसके चलते उन्हें कोच्चि के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। हालांकि एक्स-रे में कुछ भी असामान्य सामने नहीं देखने मिला। जिसके चलते उनके परिवार वालों को लगा की पेन की निब पेट से निकल गई है। हालांकि इसके बाद उन्हें फेफड़ों से जुड़ी कई बीमारियाँ हो गई।
खुद को अस्थमा होने का मानकर सूरज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल अपना इलाज करवाने के लिए भटकते रहे थे। पिछले साल दिसंबर मे वह कोरोना संक्रमित हुये थे, जिससे उनकी स्थिति और भी बिगड़ गई। लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ़ के कारण उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सूरज के शरीर में कोरोना की स्थिति जानने के लिए डॉक्टरों ने उनकी छाती का सिटी स्कैन किया था, जिसमें उन्हें दाहिने फेफड़े के निचले हिस्से में एक लोहे जैसी चीज दिखी। जिसके चलते उन्हें अमृता अस्पताल भर्ती करवाया गया।
अमृता अस्पताल में डॉक्टरों ने बिना सर्जरी के ही उनके फेफड़ों में फंसे निब को निकाल दिया। जिसके लिए उन्होंने ब्रोंकोंस्कोपिक प्रक्रिया का सहारा लिया। डॉक्टरों ने बताया कि पिछले 18 सालों से फेफड़ों में फंसे होने के कारण निब के ऊपर उत्तक का निर्माण हो गया था, जिसे निकालना काफी कठिन हो गया था। हालांकि अंत में डॉक्टरों ने उसे निकाल दिया और एक दिन ओब्सर्वेशन में रखने के बाद सूरज को छुट्टी दे दी गई थी। इस बारे में बात करते हुये सूरज ने कहा कि वह पिछले 18 सालों से सांस और खांसी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। पर अंत में अब वह खुश है कि उन्हें अब इससे जुड़ी कोई भी परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।