कोरोना पोजीटीव ससुर को कंधे पर उठाकर अस्पताल ले जाने वाली बहू निहारिका की मेहनत विफल रही!
By Loktej
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सोमवार को निहारिका के ससुर का निधन हो गया, खुद भी हो गई थी कोरोना संक्रमित
विगत दिनों कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश में अफरातफरी का माहौल बना दिया था। संक्रमण के कारण देश की स्वास्थय सेवाएँ पूरी तरह से डगमगा गई थी। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीज़न की कमी की बातें सामने आई थी, तो कहीं श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी लाइन नजर आईं। महामारी के दौरान कई कहानियाँ ऐसी सामने आईं, जिन्हें जानकर लोगों को काफी प्रेरणा मिली। महामारी ने एक-दूसरे के खराब समय में लोगों को एक साथ रहने की सीख दी है। एक ऐसी ही कहानी सामने आई है आसाम के भाटीगाम से, जहां एक बहू अपने कोरोना संक्रमित ससुर को अपने कंधे पर उठाकर अस्पताल लेकर पहुंची।
75 वर्षीय थुलेश्वर दास का पुत्र सूरज शहर में नौकरी करता है। पुत्र की अनुपस्थिति में बहू निहारिका ही अपने ससुर की देखभाल करती है। पिछले दिनों जब थुलेश्वर दास कोरोना संक्रमित हुए तो डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी। अस्पताल घर से लगभग २ किमी की दूरी पर था। निहारिका ने अपने ससुर को अस्पताल ले जाने के लिए लोगों से मदद मांगने की कोशिश की। पर उसे कोई सहारा नहीं मिला। ऐसे में उसने खुद ही यह ज़िम्मेदारी उठाई। निहारिका अपने ससुर को कंधों पर उठाकर अस्पताल ले गईं, पर ऐसा करने से निहारिका भी कोरोना संक्रमित हो गई थी।
अचरज की बात यह है कि जब निहारिका अपने ससुर को कंधे पर लादकर अस्पताल ले जा रही थी, लोग मदद करने की बजाय उसकी तस्वीरें खींच रहे थे। निहारिका की कहानी सोशल मीडिया खूब चाव से पढ़ी जा रही है और लोग इस महिला को एक आदर्श बहू करार दे रहे है। निहारिका का एक 6 वर्ष का बेटा भी है।
एक स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी ने थुलेश्वर को 21 किमी दूर नगांव के जिला कोविड केयर सेंटर ले जाने के लिए कहा, जबकि निहारिका को इलाज के लिए घर पर रहने की सलाह दी गई। लेकिन निहारिका ने अपने ससुर को अस्पताल में अकेला छोड़ने से इनकार कर दिया। जिसके बाद डॉक्टर संगीता धर और अन्य एक स्वास्थ्यकर्मी पिंटू हीरा द्वारा प्रारंभिक उपचार के बाद, उन्हें 108 एम्बुलेंस द्वारा नगांव भगेश्वरी फुकना सिविल अस्पताल के कोविड वार्ड में ले जाया गया।
निहारिका बताती हैं कि स्वास्थ्य केंद्र से कोविड अस्पताल ले जाते समय भी उन्हें अपने ससुर को कंधों पर उठाना पड़ा, अस्पताल की सीढ़ियां भी ऐसे ही चढ़नी पड़ीं। लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। इस मामले में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 5 जून को गुवाहाटी के मेडिकल कॉलेज में रेफर करने के बाद सोमवार को थुलेश्वर दास का निधन हो गया।