बिहार: अस्पतालों की भारी कमी के बीच चरम पर हैं स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा
By Loktej
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इन स्वास्थ्य केन्द्रों पर डॉक्टर और नर्स के बदले मिल रहे सूअर और गाय
देश भर में फैली कोरोना महामारी ने राज्यों की हालत और खराब कर रखी है। कोरोना वायरस के दूसरे दौर में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गांवों-शहरों के अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की कमी देखी गई है, ऐसे में बिहार से सामने आई एक तस्वीर ने अलग ही दास्ताँ पेश की हैं। दरअसल सामने आई ये तस्वीर एक अस्पताल की हैं जहाँ डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ के बदले झाड़ झंखाड़ दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं ये स्वास्थ्य केंद्र अब यह सूअरों का घर बन गया है। साथ ही असामाजिक तत्वों ने खिड़की-दरवाजे भी तोड़ दिए हैं।
आपको बता दें कि बिहार के लगभग सभी उप-स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति एक जैसी है। इनमें से अधिकतर स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों, नर्सों और दवाओं की जगह झाड़ियां,गंदगी और धूल हैं। हालांकि सहरसा जिले में एक स्वास्थ्य केंद्र ऐसा भी है जहां झाड़ियों के साथ-साथ सूअर भी देखे जा सकते हैं। यह स्वास्थ्य केंद्र सहरसा बनमा इटहरी अनुमंडल में मौजूद है। इसकी हालत पिछले 10 साल से खराब है और हालत इतनी खराब है कि यहां गोबर, काँटों और झाड़ियों के साथ-साथ सूअर भी देखने को मिल जाते हैं।
बनमा इटहरी अनुमंडल के सुगमा गांव में स्थित स्वास्थ्य केंद्र 90 के दशक में लालू रबड़ी देवी के शासनकाल में लाखों रुपये की लागत से बनाया गया था, जो पिछले कई सालों से बंद है। इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत खस्ता हो गई है। असामाजिक तत्वों ने स्वास्थ्य केंद्र के दरवाजे-खिड़कियां भी तोड़ दी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने जिला अधिकारी, सिविल सर्जन सहित वरिष्ठ अधिकारियों से स्वास्थ्य केंद्र को फिर से खोलने और इसे संचालित करने का आग्रह करने की अपील की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार कई दफे प्रस्तुति के बावजूद अब तक स्वास्थ्य केंद्र के जीर्णोद्धार के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। इलाके की आबादी करीब 30 हजार है लेकिन स्वास्थ्य केंद्र बंद होने से यहां के लोगों को इलाज के लिए कहीं और जाना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कई साल पहले डॉक्टर और नर्स रहते थे, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र कई सालों से बदहाल स्थिति में है। बिहार के मधुबनी जिले के खजौली के सुक्की गांव की तस्वीर कुछ ऐसी ही है। यहां के एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा ऐसी है कि इसे गौशाला के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोई डॉक्टर या नर्स नहीं है।