शर्मनाक: मकान मालिक ने नहीं दिया घर में प्रवेश तो संक्रमित महिला ने परिवार समेत टैक्सी में बिताये दो दिन

शर्मनाक: मकान मालिक ने नहीं दिया घर में प्रवेश तो संक्रमित महिला ने परिवार समेत टैक्सी में बिताये दो दिन

कोरोना के भय से मदद के लिए कोई नहीं आया आगे, अंततः पुलिस ने की मदद

कोरोना काल में ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं जिनसे असंवेदनशीलता की सारी हदे पार कर दी। एक ऐसा ही घटना हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग में एक टैक्सी चालक परिवार के साथ हुआ। परिवार में महिला के कोरोना संक्रमित आने के बाद मकान मालिक के इनकार की वजह से परिवार को दो साल के बच्चे के साथ दो दिन तक टैक्सी में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग में टैक्सी चलाने वाले परसराम अपनी पत्नी का चेकअप के लिए दो दिन पहले शिमला गया था जहां उसकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव पाई गई। पत्नी की हालत ठीक थी और डॉक्टरों ने परिवार को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी। ये परिवार करसोग में एक किराये के मकान पर रहता है। ऐसे में परसराम ने मकान मालिक को पूरे मामले को लेकर अवगत करवाया इस पर मकान मालिक ने असंवेदनशीलता की पराकाष्ठ पार करते हुए परिवार को घर में प्रवेश देने से इनकार कर दिया। इसकी वजह से परिवार को दो साल के बच्चे के साथ दो दिन तक टैक्सी में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इससे भी बड़ी बात ये कि इस मुश्किल घड़ी में कोई भी व्यक्ति परसराम को और मदद का हाथ बढ़ाने को तैयार नहीं हुआ। थकहार के परसराम ने कहीं से मोबाइल नंबर लेकर डीएसपी गीतांजलि ठाकुर से मदद की गुहार लगाई। डीएसपी बिना देर किए पुलिस टीम के साथ परसराम की सहायता के लिए पहुंच गई। इस दौरान न केवल डीएसपी ने मकान मालिक से बात करके परसराम को क्वार्टर पहुंचाया बल्कि परिवार के लिए राशन पानी की भी पूरी व्यवस्था की।
डीएसपी गीतांजलि ठाकुर ने कहा कि परसराम का फोन रविवार शाम चार बजे आया। उसकी समस्या यह थी कि उसकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव थी इसलिए वह अपनी पत्नी और अपने 2 साल के बच्चे के साथ कार में दो दिन तक रहा। उन्होंने कहा कि फोन आने के बाद मकान मालिक से संपर्क किया गया और परसराम को घर ले जाकर पुलिस ने घर तक जरूरी सामान पहुंचाया।
गौरतलब हैं कि देश में कोरोना का खौफ इस कदर फैल गया है कि लोग एक दूसरे की मदद करने के लिए भी कई दफ़ा सोच रहे हैं। कुछ मरीजों को कोरोना न होने के बावजूद जरूरी इलाज नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं कई मामले ऐसे भी हैं जहां मरीज को कोरोना न होने के बावजूद अस्पतालों में इलाज नहीं मिल रहा है। कुछ डॉक्टर कोरोना के डर से मरीजों की जांच नहीं कर रहे हैं, जबकि अन्य मरीजों को अस्पतालों को कोरोना अस्पतालों में शिफ्ट करने के कारण इलाज के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं।